For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Maheshwari Kaneri
Share on Facebook MySpace

Maheshwari Kaneri's Friends

  • seemahari sharma
  • harivallabh sharma
  • Omprakash Kshatriya
  • Priyanka singh
  • annapurna bajpai
  • om sapra
 

Maheshwari Kaneri's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
Dehra Dun Uttarakhand
Native Place
Dehara Dun
Profession
Reitaird Teacher
About me
Writing is my hobby

Maheshwari Kaneri's Blog

होली

फागुन आया अंगना मेरे ,रंगो की हम जोली है ,

नभ में उड़ते रंग गुलाल,आज सखी री होली है |

 

गाते गीत चौक चौबारे ,मस्तों की ये टोली है,

बाजे ढोल मृदंग मजीरा ,आज सखी री होली है |

 

धानी धानी चुनरी  ओढे,पात बजाते ताली है

एक रंग में रंगे सभी है, आज सखी री होली है |

 

बिन ठिठोली होली कैसी ,बात सभी ने बोली है ,

भंग का रंग चढा सभी को , आज सखी री होली है |

 

धरती पर रंगो की नदियाँ ,अम्बर पर रंगोली है ,

आँगन आँगन…

Continue

Posted on March 20, 2019 at 3:00pm — 2 Comments

माँ भारती पुकारती

भारत के नौजवानों ,माँ भारती पुकारती ,

देश के सपूत तुम ,फर्ज तो निभाइए |

मुश्किल घड़ी है आज,दाव पे लगी है लाज,

सिंग सा दहाड़ कर देश को जगाइए |

वीरता रगों में भर ,शौर्य की कहानी गढ़ ,

प्रचंड चंड रूप तो शत्रु को दिखाइए |

पावन मन गंगा हो ,ले हाथ में तिरंगा हो ,

वन्दे मातरम् गीत ,गाते सब जाइए |

        ***********

मौलिक और अप्रकाशित रचना 

महेश्वरी कनेरी 

 

Posted on March 11, 2019 at 5:30pm — 5 Comments

कुछ अनमोल रिश्ते   ( कहानी )

बचपन में  हमने  अपने दादा दादी और नाना नानी को तो नहीं देखा था ,पर हमारे पड़ोस में एक बुजुर्ग महिला जो अपने परिवार के साथ रहा करती थी । उन्ही से हमें बहुत प्यार मिला करता  उनका अकसर  हमारे घर में बिना नागा  जाना जाना  हुआ करता था ।हम उन्हें आमा यानी नानी कहा करते थे ।

वे जब भी हमारे घर आती थी,माँ उन्हें बड़े प्यार से बिठा कर चाय नाश्ता दिया करती थी । वे चाय नाश्ते के चुस्कियो के साथ-साथ अपनी हर छोटी-छोटी बातें ,हर दर्द हर दुख सुख माँ के साथ बाँटा करती थी। माँ भी उनकी हर बात बहुत…

Continue

Posted on February 6, 2019 at 4:00pm — 4 Comments

मातृ भूमि के लिए ..

मनहरण धनाक्षरी  ..

तन मन प्राण वारूँ वंदन नमन करूँ 

गाऊँ यशोगान सदा   मातृ भूमि के लिए ..

पावन मातृ भूमि ये, वीरों और शहीदों  की 

जन्मे राम कृष्ण यहाँ हाथ सुचक्र लिए ,

ये बेमिसाल देश है संस्कृति भी विशेष है

पूजते पत्थर यहाँ  आस्था अनंत लिए 

शौर्य और त्याग की  भक्ति और भाव की

कर्म पथ चले सभी हाथ में ध्वजा  लिए .....

.

अप्रकाशित /मौलिक 

महेश्वरी कनेरी 

Posted on January 16, 2019 at 5:00pm — 4 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 8:44pm on March 11, 2014, Omprakash Kshatriya said…

कविता में मनोभावों की सुन्दर अभिव्यक्ति हुई है . बधाई .

At 10:34pm on January 1, 2014, annapurna bajpai said…

स्वागत आपका ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service