वंदना
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
विद्द्या का मुझको भी वरदान दे माँ
करूँ मै भी सेवा तेरी उम्र भर
मुझमे भी ऐसा कोई ‘भाव’ दे माँ
हे शारदे माँ , .......
चलूँ मै भी हरदम सत्यपथ पर
कभी भी न मुझसे कोई चूक हो माँ
हे शारदे माँ ,...........
दिखें जो दुखी-दीन आगे मेरे
कुछ सेवा उनकी भी मै कर सकूं माँ
हे शारदे माँ ,...............
जिह्वा जो खोलूँ तू वाँणी मे हो
चले जो कलम तो तू शब्द दे माँ
हे शारदे माँ, .............
सुख,स्वास्थ,शान्ति सभी को मिले
हर इक को ऐसा ही वरदान दे माँ
हे शारदे माँ, हे शारदे माँ
विद्द्या का मुझको भी वरदान दे माँ ||
मीना पाठक
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
बहुत सुंदर रचना , हार्दिक बधाई आदरणीया मीना दीदी
आ० वंदना जी बहुत आभार
बहुत बहुत आभार आ० रमेश जी
आ० कुन्ती दी हृदय से आभार | सादर
आ० अन्नपूर्णा जी बहुत आभार | हृदय से मान रखूँगी आ० प्राची जी के शब्दों का
आदरणीय अरुन जी, प्रयासरत हूँ | बहुत आभार
आदरणीया प्राची जी, हमेशा मेरी रचनाओं पर आप की उपस्थिति और स्नेह मिलता है जिससे मेरा हौसला बढाता है, आप का स्नेह मेरे दिल तक पहुँचा :) हृदय से आभार
आप के कहे का सम्मान करते हुए तहेदिल से मान रखूँगी .... पूरा प्रयास कर रही हूँ| सादर
सुन्दर भाव आदरणीया
मां शारदे के चरणों में समर्पित सुंदर भाव के लिये आपको बााई
बहुत सुंदर रचना...मीना जी हार्दिक बधाई.
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