शेर -
"प्रीत की लगन है ये , किसी ने न जानी है ।
सबकी समझ में आती नही ये कहानी है ।"
मीरा छोड़ सब तेरी गली मोहन चली आयी ।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।
कि इकतारे की सरगम पर विरह के गीत गाती है ।
दीवानी बावरी बेसुध तुम्हारी और आती है ।
जर्जर तन निगाहों में लिए सावन चली आयी ।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।
देह भी चूर है थक कर और पैरों में छाले हैं ।
सूखते लब तुम्हारे नाम की माला सभाले हैं ।
कि प्रेमी पर फ़िदा होने आज प्रेमिन चली आयी ।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।
गुज़ारें हैं बरस कितने तुम्हारी इंतज़ारी में ।
मिलन कि आस में पल पल जली है बेकरारी में ।
न आया जब पिया लेने तो खुद दुलहन चली आयी ।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।
सुना है सांवरे तेरा बड़ा है नाम दुनिया में ।
मगर ये तेरे पीछे हो गयी बदनाम दुनिया में ।
सजनी अपने साजन के आज आँगन चली आयी ।
न आया तू तो तेरे द्वार पर जोगन चली आयी ।
मौलिक व अप्रकाशि
नीरज "प्रेम"
Comment
आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका ।
आदरणीय जीतेन्द्र भाई बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।
कुंती जी बहुत बहुत आभार आपका ।
आदरणीय मीना जी बहुत बहुत आभारी हो रखा हूँ आपका ।
आदरणीय अखिलेश जी अदा करता हूँ शुक्रिया तहे से आपका ।
बहुत सुंदर , अद्भुत बधाई आपको ।
बेहद सुंदर रचना आदरणीय नीरज जी, हार्दिक बधाई आपको
प्रेम रस में डुबी एक सुंदर रचना.
बहुत सुन्दर ..... बधाई
आदरणीय नीरज भाई,
बावरी मीरा का सुंदर चित्रण सुंदर शब्दों में किया है , हार्दिक बधाई ।
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