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मंगल गीत सुनाओ सखी री

मंगल गीत सुनाओ सखी री

ताशे ढोल बजाओ सखी री

हल्दी उबटन औ विविध विधि

गोरी रूप सजाओ सखी री

 

उत्सव की तैयारी हो रही

सबकी अब खरीदारी हो रही

भाई को शेरवानी मिली

छुटकी की साड़ी भारी हो रही

दुलहन लहंगा सबसे अनोखा

चाँद तारे जडाओ सखी री

 

द्वारे आये हैं दुल्हे राजा

साथ में लाये बाजा-गाजा

स्वागत को उत्सुक सभी घराती

घर में बना है लड्डू खाजा

दूल्हे को भाए विदेशी पिज्जा

लन्दन से मंगाओ सखी री

 

दूल्हा बराती औ सहबाला

बैठे हैं खिचड़ी पे बन लाला

कार इनोवा पर दूल्हा मटका

दूल्हे का बाप ऑटो वाला

दुल्हे का जूता गायब हुआ जी

बाते का मंगाओ सखी री

 

बाबुल की बेटी पराई हुई

थोड़ी सी सहमी लजाई हुई

माँ का अंगना हुआ बेगाना

नम आँखों से विदाई हुई

बेटी हुई सजन की सजनियाँ

मोह यों न बढ़ाओ सखी री

संजू शब्दिता मौलिक व अप्रकाशित  

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Comment

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Comment by sanju shabdita on March 19, 2014 at 12:06pm

आपका बहुत बहुत धन्यवाद आ० सौरभ सर //


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2014 at 3:24am

हमारी परिपाटियाँ उत्सवधर्मी होती हैं. इसी कारण सामाजिक-पारिवारिक परंपराओं में गीतों और रंगों का ऐसा और इतना महत्त्व है.  गीत पर हुए प्रयास के लिए  हार्दिक बधाई, संजू जी..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on February 4, 2014 at 11:30pm

अति सुंदर मनभावन गीत आदरणीया संजू जी, हार्दिक बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 4, 2014 at 6:39pm

आदरणीया संजू जी , शादी  पर सुन्दर गीत रचना की है ॥ आपको बहुत बधाई ॥

Comment by Meena Pathak on February 4, 2014 at 12:53pm

बहुत सुन्दर ... मनभावन गीत ..बहुत बहुत बधाई 

Comment by coontee mukerji on February 4, 2014 at 3:13am

बहुत सुंदर आपकी रचना निखर गयी है..हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

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