क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
तुम वसंत हो, अनुगामी
जिसका पर्णपात नहीं.
सुमन सुगंध सी संगिनी,
राग द्वेष की बात नहीं.
शब्द अपूर्ण वर्णन को
ईश्वर के वरदान का.
विकट ताप में अम्बुद री,
प्रशांत शीतल छांव सी,
तप्त मरू में दिख जाए,
हरियाली इक गाँव की.
कहो कैसे बखान करूँ
पूर्ण हुए अरमान का.
मैं पतंग तुम डोर प्रिय,
तुम बिन गगन अछूता है.
तुमसे बंधकर जीवन
व्योम उत्कर्ष छूता है.
तुम ही कथाकार हो, इस
जीवन के आख्यान का.
क्या तुम्हें उपहार दूँ,
प्रिय प्रेम के प्रतिदान का.
(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय नीरज नीर भाई , अपने प्रिय को समर्पित भावों से सजी आपकी रचना के लिये आपको बहुत बधाई !!
आ. भाई शिरोमणि पाठक जी आपका बहुत आभार.
आदरणीय कुंती मुकर्जी जी बहुत धन्यवाद, इसी तरह प्रोत्साहन देते रहें.
आदरणीया मीना पाठक जी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ.
हार्दिक आभार आदरणीया सरिता भाटिया जी
आ. भाई अरुण जी ह्रदय तल से आपका आभार व्यक्त करता हूँ. आपका समर्थन और प्रेम हमेशा प्रोत्साहित करता है .
आदरणीय श्याम नारायण वर्मा साहब हार्दिक आभार.
मैं पतंग तुम डोर प्रिय,
तुम बिन गगन अछूता है.
तुमसे बंधकर जीवन
व्योम उत्कर्ष छूता है.......बहुत ही सुंदर गीत.नीरज जी.साधुवाद.
बहुत सुन्दर रचना .. बधाई आप को आ० नीरज जी
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online