रति भी तू,कामना भी तू,
कवि की सुंदर कल्पना है,
प्रेम से भरी मूरत है तू,
कुदरत का कोई करिश्मा है ...
सांवली रंगत,सूरत मोहिनी,
कातिलाना तेरी अदाएं है,
सात सुरों की सरगम तू,
फूलों की महकती डाली है....
नयन तेरे काले कज़रारे है,
लब ज्यूँ मय के प्याले है,
जिन पर हम दिल हारे है,
उल्फ़ते-राज़ ये गहरे है ....
हुस्नों-हया की मल्लिका तू,
हर इक दिल की धडकन है,
फुरसत से बनी प्रतिमा तू,
ईश्वर की निराली रचना है...
("मौलिक व अप्रकाशित")
Comment
सुंदर रचना
बेहद शुक्रिया annapurna bajpai मैडम..सादर
आ0 आरती जी बहुत सुंदर रचना , बधाई आपको ।
Meena Pathak जी आपका तहेदिल से शुक्रिया कविता पसंद करने के लिए ..आभार
रचना सराहने के लिए सहृदय धन्यवाद आदरणीय Laxman Prasad Ladiwala सर..आभार
ईश्वर की निराली रचना. सौन्दर्य की प्रतिमा है, तभी तो कवि की सुंदर कल्पना है | सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति की लिए बधाई
बहुत सुन्दर भावों से सजी रचना .. बहुत बहुत बधाई
भावों की गहराई समझने के लिए हार्दिक आभार आदरणीय जितेन्द्र 'गीत' जी..
बेहद खुबसूरत कोमल भाव, बधाई स्वीकारे आदरणीया आरती जी
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया shashi purwar जी..आभार
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