अपने आँसू दे गए ,किया हमें बेहाल
नया साल लाये नई खुशियाँ करें कमाल /
खुशियाँ करें कमाल, दूर हों उलझन सारी
छाए नया बसंत, खिले अब बगिया न्यारी
सरिता करे गुहार, पूरे हों सभी सपने
करना रक्षा ईश ,बिछुड़े नहीं अब अपने//
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...........मौलिक व अप्रकाशित.............
Comment
आदरणीया कल्पनाजी के सुझाव के अनुसार अपनी रचना को संशोधित करवा लें.
मुझे भी यह जानकार अच्छा लगा सरिता जीकी आपने मेरे सुझाव का मान रखा, कुछ मित्र बुरा मान सकते हैं इसलिए तटस्थ ही रहती हूँ। लेकिन गलती को जानबूझकर अनदेखा करके पसंद व्यक्त करना भी मन को स्वीकार नहीं होता इसलिए टिप्पणियाँ कम ही करती हूँ।
आदरणीय जितेन्द्र जी हार्दिक आभार
केवल जी आपने सही कहा हार्दिक आभार
आदरणीया दी हार्दिक आभार
आप बहुत कम सुझाव देती हैं ,बहुत अच्छा लगा आज आपका मार्गदर्शन पाकर
बहुत सुंदर भावपूर्ण कुंडलियां, बधाई आदरणीया सरिता जी
आ0 सरिता जी, बहुत ही सुन्दर भावों से पूरित कुण्डलियां के लिए बहुत-बहुत बधार्इ स्वीकारें। आ0 रामानी दी जी का सुझाव अपनार्इए। सादर,
सरिता जी, बहुत सुंदर भावपूर्ण कुण्डलिया है, आपको हार्दिक बधाई। ...
सरिता करे गुहार, पूरे हों सभी सपने
करना रक्षा ईश ,बिछुड़े नहीं अब अपने//...इन पंक्तियों के सम चरणों में लय कुछ बाधित हो रही है सारे
इनको इस तरह कहकर देखिये-
सरिता करे गुहार, पूर्ण हों सारे सपने
करना रक्षा ईश , नहीं बिछुड़ें अब अपने//...यह केवल सुझाव मात्र है/सादर
आदरणीय नादिर जी हार्दिक आभार उत्साह बनाये रखें
आदरणीय श्याम वर्मा जी हार्दिक आभार
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