ये ग़ज़ल नहीं है देश का बयान है,
डूबते जहाज की ये दास्तान है।
लुट रही है कहकहाें के बीच अाबरु,
धर्तीपुत्र अाज माैन, बेजुबान है।
गर्व था उन्हें कि बन गये जगतपिता,
गर्भ में ही मर चुका वाे संविधान है।
हम ताे नेक हैं ये बाेलता है हर काेई,
हर काेई कहे कि मुल्क बेइमान है।
घर ताे बन गया मगर वाे साे नहीं सके,
बेघराें के बीच घर जाे अालिशान है।
लाेग पूछते हैं कैसे खण्डहर बना ?
दिल किसी किले की भाँति सूनसान है।
कृष्णसिंह पेला
(माैलिक व अप्रकाशित)
Comment
धन्यवाद अा.भुवन जी अापने इस गजल की मात्रात्मक संरचना का उल्लेख कर इस के वाचन काे काफी सहजता प्रदान की है ।
यह गजल २१२१ २१२१ २१२१ २ मात्रा पर रचित है...
कुछ तकनीकी कारणों से मेरी प्रतिक्रिया आपको नहीं दिख रही होगी, अन्यथा वह आपके ही पोस्ट पर उपलब्ध है, आदरणीय.
सादर
अादरणीय Saurabh Pandey साहब इस गजल पर अापकी प्रतिक्रिया पाकर मैं धन्य हाे गया था । मैने पढा भी था परंतु अभी दुर्भाग्यवश अापकी प्रतिक्रिया दिखाइ नहीं दे रही है । माफ कीजिएगा मैं अापके अाेबीअाे प्राेफाइल से उक्त प्रतिक्रिया काे copy कर के यहाँ paste कर रहा हूँ :
"एक कामयाब कोशिश के लिए बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय. इन अश’आर पर विशेष बधाइयाँ -
हम ताे नेक हैं ये बाेलता है हर काेई,
हर काेई कहे कि मुल्क बेइमान है।
घर ताे बन गया मगर वाे साे नहीं सके,
बेघराें के बीच घर जाे अालिशान है।
लाेग पूछते हैं कैसे खण्डहर बना,
दिल किसी किले की भाँति सूनसान है ।"
गजब !
एक कामयाब कोशिश के लिए बहुत-बहुत बधाई, आदरणीय.
इन अश’आर पर विशेष बधाइयाँ -
हम ताे नेक हैं ये बाेलता है हर काेई,
हर काेई कहे कि मुल्क बेइमान है।
घर ताे बन गया मगर वाे साे नहीं सके,
बेघराें के बीच घर जाे अालिशान है।
लाेग पूछते हैं कैसे खण्डहर बना ?
दिल किसी किले की भाँति सूनसान है।
ग़ज़ब !
अादरणीय BHUWAN NISTEJ जी, coontee mukerji जी, गिरिराज भंडारी जी, एवम् विजय मिश्र जी, अाप लाेगाें का बहुत बहुत अाभार । अा. गिरिराज भंडारी जी इस गज़ल की मात्रात्मक संरचना २१ २१ २१ २१ २१ २१ २ है । अब इनकाे अागे पीछे कैसे संयाेजन कर के काैन से बह्र का नाम दें यह अलग बात है ।
आदरणीय कृष्ण सिंग भाई , सुन्दर गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ , बह्र का उल्लेख ज़रूर कर दिया कीजिये ॥
हम ताे नेक हैं ये बाेलता है हर काेई,
हर काेई कहे कि मुल्क बेइमान है। .....बहुत खूब.
घर ताे बन गया मगर वाे साे नहीं सके,
बेघराें के बीच घर जाे अालिशान है।
लाेग पूछते हैं कैसे खण्डहर बना ?
दिल किसी किले की भाँति सूनसान है।
क्या कहना
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