कितनी सच्ची थी तुम , और मैं कितना झूठा था !!!
तुम्हे पसंद नहीं थी सांवली ख़ामोशी !
मैं चाहता कि बचा रहे मेरा सांवलापन चमकीले संक्रमण से !
तब रंगों का अर्थ न तुम जानती थी , न मैं !
एक गर्मी की छुट्टियों में -
तुम्हारी आँखों में उतर गया मेरा सांवला रंग !
मेरी चुप्पी थोड़ी तुम जैसी चटक रंग हो गई थी !
तुम गुलाबी फ्रोक पहने मेरा रंग अपनी हथेली में भर लेती !
मैं अपने सीने तक पहुँचते तुम्हारे माथे को सहलाता कह उठता -
कि अभी बच्ची हो !
तुम तुनक कर कोई स्टूल खोजने लगती !
तुम बड़ी होकर भी बच्ची ही रही , मैं कवि होने लगा !
तुम्हारी थकी-थकी हँसी मेरी बाँहों में सोई रहती रात भर !
मैं तुम्हारे बालों में शब्द पिरोता, माथे पर कविताएँ लिखता !
एक करवट में बिताई गई पवित्र रातों को -
सुबह उठते पूजाघर में छुपा आती तुम !
मैं उसे बिखेर देता अपनी डायरी के पन्नों पर !
आरती गाते हुए भी तुम्हारे चेहरे पर पसरा रहता लाल रंग
दीवारें कह उठतीं कि वो नहीं बदलेंगी अपना रंग तुम्हारे रंग से !
मैं खूब जोर-जोर पढता अभिसार की कविताएँ !
दीवारों का रंग और काला हो रोशनदान तक पसर जाता !
हमने तब जाना कि एक रंग “अँधेरा” भी होता है!
रात भर तुम्हारी आँखों से बहता रहता मेरा सांवलापन !
तुम सुबह-सुबह काजल लगा लेती कि छुपा रहे रात का रंग !
मैं फाड देता अपनी डायरी का एक पन्ना !
मेरा दिया सिन्दूर तुम चढ़ाती रही गांव के सत्ती चौरे पर !
तुम्हारी दी हुई कलम को तोड़ कर फेंक दिया मैंने !
उत्तरपुस्तिकाओं पर उसी कलम से पहला अक्षर टांकता था मैं !
मैंने स्वीकार कर लिया अनुत्तीर्ण होने का भय !
तुमने काजल लगाते हुए कहा कि मुझे याद करोगी तुम !
मैंने कहा कि मैं कभी नहीं लिखूंगा कविताएँ !
कितनी सच्ची थी तुम , और मैं कितना झूठा था !!!
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...................................................................अरुन श्री !
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मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत धन्यवाद कल्पना रामानी मैम ! सादर !
MAHIMA SHREE मैम , "कवि" और "धनी" का संयोग बहुत ही कम होता है ! आपने करा दिया ! बहुत धन्यवाद आपको ! :-)))
vijay nikore सर , आपने पढ़ा भी होगा बहुत मन से ! धन्यवाद !
coontee mukerji मैम , मेरे प्रयास को सराहने के लिए धन्यवाद !
बहुत धन्यवाद आपको Shyam Narain Verma सर !
खूबसूरत प्रेम कविता। प्रेम कविताओं में आप सिद्धहस्त हो चुके हैं। बधाई स्वीकारें।
वाह! बहुत सुंदर, मन को छू जाते भाव. बहुत बहुत बधाई आदरणीय अरुण श्री जी
सुंदर भावपूर्ण मर्मस्पर्शी कविता के लिए आपको ढेरों बधाइयाँ अरुण श्री जी
वाह क्या बात है .. भावसम्प्रेषण के धनी कवि को ढेरों बधाईयाँ... बहुत सुंदर सादर
सुन्दर, एक दम सुन्दर ... आपकी रचना मन को छू गई। बधाई।
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