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क्या शिकायत करू मैं इस जमानें से
फायदा क्या है किसी को बतानें से
अब मजारो की तरफ यूँ न देखो तुम
आ सकेगें हम न आँसू बहानें से
बदनसीबी साथ मेरे उम्र भर थी
सो रहा हूँ चोट खा कर जमानें से
यार मेरे तुम बहाओ न अश्को को
फायदा क्या अब यहाँ दिल जलानें से
रूठ कर हम से चले ही गये वो जब
साथ ना अब तो मिले कुछ बतानें से
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी गहमर गाजीपुर
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आदरणीय मंच संचालक महोदय अग्रजो की राय एवं मार्गदर्शन के अनुसार मेरी गजल में संसोधन कर इस गजल को पोस्ट करने की क़पा करे
क्या शिकायत मैं करू इस जमाने से
फायदा क्या है किसी को बताने से
अब मजारों की तरफ यूँ न देखो तुम
आ सकेगें वो न आँसू बहाने से
बदनसीबी साथ मेरे उम्र भर थी
सो रहा हूँ चोट खा कर जमाने से
यार मेरे तुम बहाओ न अश्कों को
फायदा क्या अब यहाँ दिल जलाने से
रूठ कर हम से चले ही गये वो जब
साथ ना अब तो मिले कुछ बताने से
आदरणीय राम शिरोमणी पाठक जी रचना पर पर्याप्त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे
आदरणीय अरून शर्मा जी रचना पर पर्याप्त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे
आदरणीय ब्रजेश नीरज जी रचना पर पर्याप्त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे
आदरणीया गीतिका वेदिका जी रचना पर पर्याप्त समय देने एवं मार्गदर्शन के लिये हम आपके सदा अभारी रहेगें हमारा प्रणाम स्वीकार करें आशा है कि हम आपके बताये मार्गपर चलने में सफल होगें आर्शीवाद प्रदान करे
सुन्दर प्रस्तुति भाई जी .......... हार्दिक बधाई आपको
आपका प्रयास सही दिशा में है! अरुण भाई की बात पर ध्यान दें.
गीतिका जी ने सही कहा है! //बतानें, बहानें, जमानें, जलानें// ये सारे शब्द गलत हैं! यहाँ पर 'ने' के ऊपर बिन्दी का प्रयोग सही नहीं है! रुचिकर बात यह कि आपने 'मजारो, अश्को' में 'अं' का प्रयोग नहीं किया. सही शब्द ' मजारों' और 'अश्कों' होने चाहिए.
इस सद्प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
आदरणीय अखंड भाई जी मतले ने ही मुझे रोक दिया आगे बढ़ने से मतले की तक्तीअ करने से ही ग़ज़ल ख़ारिज हो जाती है जरा देखिये.
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क्या शिकायत करू मैं इस जमानें से
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फायदा क्या है किसी को बतानें से
बह्र एक समान नहीं है. सुधार करने का पुनः प्रयास करें.
उत्साहवर्धन के लिये हम आपके आभारी है आदरणीय भुवन निस्तेज जी
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