प्यार तुमसे किया तुम निभा ना सके
दर्द दिल का कभी हम मिटा ना सके
जिन्दगी तो हमारी रही ना मगर
मौत से हाथ भी हम मिला ना सके
चाँद कह कह पुकारा हमे जो तुने
उन पलो को कभी हम भुला ना सके
ना किये वेवफाई कभी हम मगर
बात का हम भरोसा दिला ना सके
टूट कर बिखर तो हम गये हैं मगर
खा लिये हम जहर पर खिला ना सके
रात भर आइ सपनो में तुम तो मगर
बात अपनी तुझे हम बता ना सके
लौट आता सुहाना समय वो मगर
गीत भी प्यार के हम सुना ना सके
थक गये है बहुत अब बढ़े ना कदम
हाथ मेरी तरफ वो बढ़ा ना सके
हम निभाते रहे जो था वादा किया
प्यार अपना मगर हम बचा ना सके
ना जलाओ हमें यार बातें सुनो
लाख दीपक अधेरा मिटा ना सके
आ मिलो फिर तुझे है कसम प्यार की
प्यार फिर दो हमें जो भुला ना सके
मौलिक एवं अप्रकाशित अखंड गहमरी
Comment
आदरणीय अखंड भाई जी आपने (मुतदारिक मुसम्मन सालिम) बह्र पर ग़ज़ल कहने का बहुत सुन्दर प्रयास किया है, कुछ जगह ध्यान देने की आवश्यकता है
१. ग़ज़ल में ना का प्रयोग नहीं होता केवल न का होता है.
२. चाँद कह कह पुकारा हमे जो तुने
उन पलो को कभी हम भुला ना सके.... इस शेअर में तुने का प्रयोग अटपटा लगा और तकबुले रदीफ़ का दोष भी उत्पन्न हो गया.
३. ना किये वेवफाई कभी हम मगर.... थोडा और कसा जा सकता था
बात का हम भरोसा दिला ना सके... हम का प्रयोग दोनों जगह हुआ है आदरणीय जोकि उचित नहीं है कुछ बदलाव हो सकता था.
४. टूट कर बिखर तो हम गये हैं मगर... इसे ऐसा किया जा सकता है यदि आप उचित लगे टूट कर हम बिखर तो गए हैं मगर
खा लिये हम जहर पर खिला ना सके..हम शब्द यहाँ भी दो बार आया है
५. रात भर आइ सपनो में तुम तो मगर
बात अपनी तुझे हम बता ना सके ... तुम और तुझे के प्रयोग के कारण इस शेअर में शुतुर्गुबा दोष उत्पन्न हो गया.
६. लौट आता सुहाना समय वो मगर
गीत भी प्यार के हम सुना ना सके... इसे ऐसा किया जा सकता है, गीत हम प्यार के गुनगुना ना सके.
७. थक गये है बहुत अब बढ़े ना कदम
हाथ मेरी तरफ वो बढ़ा ना सके .. कसावट की मांग करता हुआ शेअर
८. हम निभाते रहे जो था वादा किया
प्यार अपना मगर हम बचा ना सके.. इसे भी पुनः देख लें.
९. ना जलाओ हमें यार बातें सुनो
लाख दीपक अधेरा मिटा ना सके
१०. आ मिलो फिर तुझे है कसम प्यार की ... तुझे की जगह तुम्हें अधिक उपयुक्त होगा.
प्यार फिर दो हमें जो भुला ना सके ... हमें के साथ सकें होगा आदरणीय सके नहीं.
आदरणीय अखंड भाई जी आपसे अनुरोध है कि पाठशाला का अनुसरण करें और ग़ज़ल पर वहां मौजूद विस्तृत जानकारी प्राप्त करें. प्रयासरत रहें. सादर
अति सुन्दर ! बधाइयाँ !
आदरणीय अखंड जी चाँद कह कह पुकारा हमे जो तुने..तुने शब्द के प्रयोग में थोडा संदेह है ,,मुझे ज्यादा पता नहीं है अन्यथा न लीजियेगा उम्दा शेरो से सुसज्जित इस ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई के साथ ..सादर
अति सुन्दर.............
सुन्दर ग़ज़ल ..
अच्छी गज़ल है. हार्दिक बधाई.
बहुत सुंदर रचना आदरणीय अखंड जी, बधाई स्वीकारें
बहुत खूब .... सादर बधाई
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