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गज़ल -- ' व्यक्तिगत सत्यों की सबको बाध्यता है '( गिरिराज भंडारी )

2122     2122     2122  

लंग सा जो भंग पैरों पर खड़ा है

हाँ, सहारा दो तो वो भी दौड़ता है

 

व्यक्तिगत सत्यों की सबको बाध्यता है  

कौन कैसा क्यों है, ये किसको पता है

 

दानवों सा इस जगह जो लग रहा है

सच कहूँ ! कुछ के लिये वो देवता है

 

सत्य सा निश्चल नही अब कोई आदम

मौका आने पर स्वयम को मोड़ता है

 

आप अपनी राह में चलते ही रहिये

बोलने वाला तो यूँ भी बोलता है

 

उनकी क़समों का भरोसा क्या करुं मै

राज अपने कौन किसपे खोलता है

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Sarita Bhatia on April 28, 2014 at 9:15am

खुबसूरत अशआर गिरि सर 

Comment by SALIM RAZA REWA on April 27, 2014 at 8:40pm

उनकी क़समों का भरोसा क्या करुं मै

राज अपने कौन किसपे खोलता है

adarniy bhandari ji achha sher hai ..mubarak ho


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 27, 2014 at 8:17pm

आदरणीय आशुतोष भाई , आपकी स्नेहिल सराहना के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ।

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 26, 2014 at 3:29pm

दानवों सा इस जगह जो लग रहा है

सच कहूँ ! कुछ के लिये वो देवता है

उनकी क़समों का भरोसा क्या करुं मै

राज अपने कौन किसपे खोलता है..आदरणीय गिरिराज भाईसाब  उम्दा शेरो से सुसज्जित इस ग़ज़ल के इन शेरो पर बिशेष बधाई के साथ .सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 25, 2014 at 5:54pm

आदरणीया कुंती जी , गज़ल की सराहना और उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 25, 2014 at 5:53pm

आदरणीय बड़े भाई , सराहना के लिये आपका बहुत आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 25, 2014 at 5:52pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 25, 2014 at 5:51pm

आदरणीया कल्पना जी , आपकी उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिये आपका आभार !!

Comment by coontee mukerji on April 25, 2014 at 4:15pm

आप अपनी राह में चलते ही रहिये

बोलने वाला तो यूँ भी बोलता है...........सही बात है. हार्दिक बधाई.भंडारी जी.

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on April 25, 2014 at 1:01pm

छोटे  भाई

सत्य सा निश्चल नही अब कोई आदम

मौका आने पर स्वयम को मोड़ता है

अच्छी गज़ल । हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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