For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

( ग़ज़ल ) दुश्मनी ही, मोल लें क्या ( गिरिराज भन्डारी )

2122          2122  

दस्तो बाज़ू खोल  लें क्या

फिर परों को तोल लें क्या

 

शब्दों  में धोखे  बहुत  हैं

मौन में  ही बोल  लें क्या

 

दोस्त के  क़ाबिल नहीं वो

दुश्मनी ही,  मोल लें क्या

 

और  कितना  हम  लुटेंगे

हाथ  में  कश्कोल लें क्या ------ कश्कोल - भिक्षापात्र

 

दिल हमारा ,साफ  है  तो

रंग, कुछ भी घोल लें क्या

 

नीम है , हर  बात उनकी

हम ही मीठा ,बोल लें क्या

 

ठीक है, प्यारी  बहुत  हो 

अब बजाने ,ढोल लें  क्या  

*************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

 

Views: 1043

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2014 at 10:15pm

आदरणीया कुंती जी , ग़ज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 2, 2014 at 10:14pm

आदरणीय बड़े भाई विजय भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका आभार ॥

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 2, 2014 at 10:28am

आदरणीय भाई गिरिराज जी , बेहतरीन ग़ज़ल हुई .जितने कम शब्दों के साथ गहरी और दमदार बातें आपने कही , कबीले तारीफ है .हार्दिक बधाई .

नीम है , हर  बात उनकी

हम ही मीठा ,बोल लें क्या

क्या खूब कहा , पुनः हार्दिक बधाई .

Comment by Sarita Bhatia on May 2, 2014 at 9:07am

बहुत ही प्यारी गजल गिरिराज सर 

Comment by नादिर ख़ान on May 2, 2014 at 8:52am

शब्दों  में धोखे  बहुत  हैं

मौन में  ही बोल  लें क्या

 

दोस्त के  क़ाबिल नहीं वो

दुश्मनी ही,  मोल लें क्या

 

और  कितना  हम  लुटेंगे

हाथ  में  कश्कोल लें क्या..

आदरणीय गिरि राज जी कम शब्दों में गहरी बात करती, उम्दा गज़ल के लिए बधाई स्वीकारें ।

Comment by coontee mukerji on May 2, 2014 at 2:52am

बहुत सुंदर गज़ल. हार्दिक बधाई,

Comment by vijay nikore on May 1, 2014 at 10:19pm

बहुत अच्छी गज़ल लिखी है। बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 10:08pm

आदरणीय गुमनाम भाई , गज़ल की सराहना के लिये आपका शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 10:07pm

आदरणीय भुवन भाई , ग़ज़ल की सराहना कर हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया !!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2014 at 10:06pm

आदरणीया राजेश जी , ग़ज़ल आपको पसन्द आई , मेरी मेहनत सार्थक हुई , सराहना के लिये आपका शुक्रिया !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
6 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
23 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service