For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सिसकियाँ आस-पास की

आज सामाजिकता और नैतिकता का किस कदर पतन हो गया है कि देख कर दुःख होता है | आज कल आप कान लगा कर सुनिए कुछ कराहें सुनाई देंगी जो बेटों की माओं की हैं | मुंह में कपड़ा ठूंस कर कराह रहीं हैं, छुप कर आँसू बहा रहीं हैं क्यों की उन्हें डर है कि किसी ने उन्हें रोते या कराहते देख लिया तो उसका गलत अर्थ निकालेंगे और वो उपहास के पात्र बन जायेंगे | आज बेटे बाले डरे सहमे से हैं और ये वो मध्यमवर्गीय माता पिता हैं जिन्होंने अपने बेटों को बड़े संघर्ष से पढाया लिखाया है | एक नही कई ऐसे परिवार मै देख रही हूँ जहाँ बेटों के जॉब में आते ही उन्हें प्रेम हो जाता है और इस प्रेम का रंग इतना गहरा है कि जन्म का प्रेम फीका पड़ जा जाता है फिर माता-पिता रो कर करें या हँस कर दोनों का विवाह करना ही पड़ रहा है अगर जरा भी ना नुकुर किया तो लड़के सब को पीछे छोड़ कर शादी कर लेते हैं और इसमें लड़की पक्ष का पूरा सहयोग होता है |

मेरे घर के पास ही एक मध्यमवर्गीय हंसता खेलता परिवार रहता है दो बेटे हैं बड़े बेटे की नौकरी लगते ही उसने शादी कर ली और जहाँ पोस्टिंग थी वहीं पत्नी को ले कर रहने लगा लड़के के माता पिता को कुछ नही पता था पर लड़की वालों का खूब आना जाना था, वो सब जानते थे | इधर लड़के वालों ने अपने बेटे की शादी तय कर दी पर जब बाद में पता चला तब लड़के वाले छाती पीटते रह गये फिर उन्होंने वही शादी छोटे बेटे से की |

पड़ोस में ही एक दूसरे परिवार की बेटी पढ़ने के लिए पुणे गई और उसे वहीं प्रेम हो गया वो लड़का पंजाबी है और थल सेना में अच्छे पोस्ट पर कार्यरत है ये जान कर लड़की वाले खुश हो गये कि ऐसा लड़का कहाँ मिलेगा, अब वो लड़का लड़की वालों के घर आता जाता है और उसकी खूब  खातिर होती है लड़के वालों को कुछ नही पता, लड़की को पूरी छूट है उसके साथ घूमने फिरने की, लडके के पंजाबी होने से भी कोई ऐतराज नही  |

एक और गरीब परिवार जिसने बड़ी मुश्किल से बेटे को पढाया | यहाँ तक कि जब बेटे को दूसरे शहर परीक्षा देने जाना था तब उन्होंने कर्ज ले कर उसके टिकट का इंतजाम किया था और जब बेटा सलेक्ट हो गया तब उसकी माँ खुशी से मेरे गले लग कर रो पड़ी थी | मुझे भी बहुत खुशी हुई थी पर कुछ दिन बाद पता चला कि उसने शादी कर ली है और उसे ले कर वहीं रह भी रहा हैं | माँ के पैरों तले जमीन ही खिसक गई मै मिलने गई तो मुझसे लिपट कर फूट फूट कर रो पड़ी | मैंने बहुत समझाया बाद में मुझे पता चला कि उस लड़की से उसका पहले से अफेयर था पर लड़की वालों ने लडके की माँ को फोन कर के ढेरों बाते सुनाया था ( तब लडके की नौकरी नही लगी थी ) और कहा था कि "अपने बेटे को समझा दो नही तो टाँगे तोड़ दी जायेंगी |” बाद में लडके की नौकरी लगते ही लड़की को पूरी छूट दे दी गई और लडके को दिग्भ्रमित कर के लड़की वालों ने आर्यसमाज से शादी करा दी और बेटे वालों को कुछ पता नही चला | शादी के दो वर्ष बाद पता चला इस दौरान लड़की वालों का बेटे के सरकारी आवास पर खूब आना जाना था | अब बेटे वाला क्या करे, दुनिया भर से मुंह मोड़ा जा सकता पर अपनी संतान से कब तक मुंह मोड़ सकते हैं माता पिता |

 

हम सभी सामजिक प्राणी हैं, समाज में जो हो रहा है उसे देख,सुन् और महसूस कर रहे हैं पर ये ऐसी समस्या है कि इस पर कोई भी बोलना नही चाहता है क्यों कि सारे नियम, क़ानून.हक,अधिकार, सुनवाई लड़की और लड़की वालों के पास है | वो कुछ भी कर दें सब मान्य है , कुछ भी झूठ बोल कर लड़के वालो को फंसाने का पूरा पावर है उनके पास जिससे लडके वाले डरे हुए रहते हैं |

                                         

मैंने जो देखा उसकी तस्वीर आप सब के सामने रखी है , मै नही जानती कि सही क्या है और गलत क्या पर मेरे मन में एक सवाल जरूर है "जो लोग अच्छे नौकरी वाले लडको के साथ अपनी बेटी को प्रेम करने की पूरी आजादी दे देते हैं और लड़के वालों के ना कहने पर भी अपनी बेटियों की शादी उस लडके से करा देते हैं क्या वो लड़का बेरोजगार हो तो भी वो अपनी बेटियों को प्रेम करने की छूट देंगे या लड़के के माता पिता की मर्जी के बिना अपनी बेटी की शादी करायेगें ? आखिर प्रेम तो प्रेम होता है ना चाहे लड़का नौकरी वाला हो या बेरोजगार |

मै मानती हूँ कि इसमें बेटों की भी बहुत गलती है पर उन्हें बढ़ावा देने वालों को क्या कहेंगे हम ?
बेटों के माता पिता कलेजे पर पत्थर रख कर स्वीकार कर रहे हैं क्यों कि वो कुछ भी कहते हैं तो लड़की वालों का एक ही आरोप कि वो दहेज के लोभी हैं |

एक बात और , मेरे शब्दों को कोई भी अन्यथा ना ले कुछ दबी सिसकियाँ मुझे आहत कर रहीं थीं सो मैंने लिख दिया , मै किसी की भावनाओं को ठेस नही पहुंचाना चाहती पर जो कुछ भी मैंने अपने आस-पास महसूस किया आप तक पहुंचाया है |
मीना पाठक

मौलिक / अप्रकाशित  

Views: 824

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2014 at 6:47pm

आदरणीया मीना जी , गम्भीर विषय पर सुन्दर आलेख के लिये आपको बधाई ॥

Comment by kalpna mishra bajpai on May 13, 2014 at 9:43pm

मीना दी बिल्कुल सही लिखा है ऐसा  ही देखने को मिल रहा है समाज मैं ....... बहुत आभार और बधाई /सादर

Comment by Meena Pathak on May 13, 2014 at 6:14pm

आदरणीया कुन्ती दी आप ने बहुत अच्छी बात कही..... ".प्रेम बहुत ही सुंदर और अलौकिक चीज़ है जिसको मिल जाए उसका जीवन धन्य हो जाता है".....सच .. विरले को ही मिल पता है |
आज भी ऐसे  लोग हैं  जो प्रेम विवाह के खिलाफ़ हैं पर हाँ कुछ बातें हैं जो मन को खटकती हैं ये सही है कि कोई भी बेरोजगार दामाद नही चाहता पर प्रेम कहाँ जानता है रोजगार, बेरोजगार | इन मामलों में कुछ बातें मेरे दिल को बहुत खटकी हैं दी इसी लिए मैंने ये लेख लिखने की हिम्मत की ... मेरा मानना है कि बच्चों की गृहस्थ जीवन की शुरुआत किसी के आंसुओं से ना हो आशीर्वाद से हो भले ही इसके लिए थोड़ा समय लगे | बेटे वाले भी अपने बेटों की खुशी ही चाहते हैं |
लेख को इतने ध्यान से पढ़ने और अपने विचार देने के लिए आभार दी | सादर 

Comment by coontee mukerji on May 13, 2014 at 4:40pm

मीना जी, मैंने आप की आलेख अच्छी तरह से पढ़ा....अब सोचने वाली बात है कि ऐसा क्यों हो रहा है. क्यों बेटों वाली माओं  को अपनी सिसकी दबानी पड़ रही है?.. क्या प्रेम विवाह करना बुरी बात है?...बल्कि मैं तो समझती हूँ हर लड़के लड़की को अपने जीवनसाथी ढूँढ़ने में पूरी छूट होनी चाहिये.....आजकल क्यों लड़के अपनी  माता पिता से छुप छुप कर शादी कर लेते हैं....लड़की वाले करे भी तो क्या?...हर लड़की वाले अच्छा दामाद चाहता है.....बेरोजगार से कौन शादी करेगी?...अगर बेटों वाली माएँ थोड़ी flexible हो जाएँ तो चुपके चुपके सिसकने की नौबत ही न आये.....वैसे मीना जी ..प्रेम बहुत ही सुंदर और अलौकिक चीज़ है जिसको मिल जाए उसका जीवन धन्य हो जाता है.....आपने बहुत ही गम्भीर विषय की ओर  हम सब का ध्यान आकर्षित  किया है....लम्बी बहस का विषय है....आपको साधुवाद.

Comment by Meena Pathak on May 12, 2014 at 9:48pm

आभार आदरणीय श्याम नारायण जी 

Comment by Meena Pathak on May 12, 2014 at 9:47pm

सही कहा आपने प्रिय अरुन जी , विषय बहुत गम्भीर है ..मैंने भी बहुत डरते डरते ये पोस्ट किया था कि शायद अप्रूव ही ना हो पर ....आभार है आदरणीय योगराज सर का और आप सब का जिन्होंने इसे सराहा और अप्रूव किया | सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on May 12, 2014 at 4:29pm
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई......................
Comment by अरुन 'अनन्त' on May 12, 2014 at 3:19pm

आदरणीया मीना जी जिस तेजी के साथ परिवर्तन हो रहा है वह निश्चय ही अनर्थकारी है आज का समय ऐसा है कि मनुष्य केवल अपने हित के लिए ही सोचता है मेरी नज़र में दोष दोनों पक्षों का है किसी का कम किसी का अधिक, यह विषय बहुत ही गंभीर और विचारणीय है. इस आलेख हेतु हार्दिक बधाई मीना जी

Comment by Meena Pathak on May 12, 2014 at 3:10pm

ये  भी सही है प्रिय जितेन्द्र ....जैसी नियत वैसी बरकत .. क्या कहें 


Comment by Meena Pathak on May 12, 2014 at 3:07pm

सही कहा आप ने आदरणीय शिज्जू जी बेटे की सबसे ज्यादा गलती है .. बहुत बहुत आभार पोस्ट पर उपस्थिति हेतु | सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service