For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धड़कन [दोहावली]


दिल पर काबू ना रहे मिल जाते जो नैन
धड़कन धड़कन से मिले दिल को मिलता चैन |


दिल की यह मजबूरियाँ समझे कोई ख़ास
धड़कन बढ़ जाती अगर आता है वो पास |


तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |


तेरी धड़कन के सिवा कुछ भी ना अनमोल
सूना है सारा जगत इसका क्या है मोल |


धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद |


धड़कन चलती है अगर जीने की हो आस
अपनों का जो साथ हो बढ़ता है विश्वास ||

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 824

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Deepika Dwivedi on June 7, 2014 at 6:47pm

सच कहूँगी तो कड़वा लगेगा पर कहे बिना रह नहीं सकूंगी अत:क्षमा याचना सहित कहना चाहूंगी किआपने दोहे लिखने का प्रयास किया है भाव बहुत अच्छे है पर इस विधा की मुख्य बात इसमें चार चरण होते है ,पहले व् तीसरे चरण के बाद यति होनी चाहिए इसका न होना अखर रहा है ,पहली पंक्ति के अंत में एक पाई व् दूसरी के अंत में दो पाई का चिन्ह नहीं होना भी इस छंद को विधानुरूप नहीं दर्शा रहा ,बस इस कमी को दूर कर दिया जाय तो बहुत उम्दा दोहे हो सकते है

Comment by विजय मिश्र on June 4, 2014 at 6:16pm
"धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद |"

- अनमोल शब्द हैं आपके ,धड़कन को समय की एक प्रकृति प्रदत्त लघुतम इकाई मानूँ तो क्षणों का मोल भी सपाट व्यक्त होता है और इससे जुड़ी मनुष्य की गरिमा भी | अनेक साधुवाद दीदी |
Comment by Sarita Bhatia on June 3, 2014 at 4:01pm

आदरणीय नरेन्द्र जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on June 3, 2014 at 4:01pm

शुक्रिया करन जी ...सादर 

Comment by Sarita Bhatia on June 3, 2014 at 4:00pm

शुक्रिया अन्नपूर्णा जी 

Comment by LOON KARAN CHHAJER on June 3, 2014 at 10:58am

सरिता जी आपने  धड़कन की सरिता बहा दी।  वास्तव में धड़कनke वगैर दिल का कोई अस्तित्व ही नहीं। 

Comment by annapurna bajpai on June 2, 2014 at 11:45pm

वाह !! bahutहुत सुंदर दोहा वली , बधाई आपको आ0 सरिता भाटिया जी । 

Comment by Sarita Bhatia on June 2, 2014 at 10:10am

शुक्रिया कल्पना दी ,स्नेह बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on June 2, 2014 at 10:09am

शुक्रिया विन्दु जी 

Comment by कल्पना रामानी on June 1, 2014 at 8:41pm

धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद....वाह! एक नए विषय पर सुंदर दोहावली के लिए आपको हार्दिक  बधाई प्रिय सरिता जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
17 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service