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धड़कन [दोहावली]


दिल पर काबू ना रहे मिल जाते जो नैन
धड़कन धड़कन से मिले दिल को मिलता चैन |


दिल की यह मजबूरियाँ समझे कोई ख़ास
धड़कन बढ़ जाती अगर आता है वो पास |


तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |


तेरी धड़कन के सिवा कुछ भी ना अनमोल
सूना है सारा जगत इसका क्या है मोल |


धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद |


धड़कन चलती है अगर जीने की हो आस
अपनों का जो साथ हो बढ़ता है विश्वास ||

(मौलिक और अप्रकाशित)

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Comment

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Comment by Vindu Babu on May 27, 2014 at 10:46pm

अच्छी दोहावली आदरणीया सरिता जी।

सादर

Comment by Sarita Bhatia on May 19, 2014 at 6:07pm

आशीष जी शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on May 19, 2014 at 6:06pm

शुक्रिया आदरणीय लक्षमण सर 

Comment by Sarita Bhatia on May 19, 2014 at 6:06pm

शुक्रिया अरुण ,स्नेह बनाये रखें 

Comment by Sarita Bhatia on May 19, 2014 at 6:05pm

आदरणीय गिरिराज सर हार्दिक आभार ,मार्गदर्शन करते रहें 

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on May 17, 2014 at 11:35am

वाह, धड़कन विषय पर अच्छे दोहे लिखे हैं आदरणीया !

बधाई !!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2014 at 4:54pm

सुन्दर सार्थक दोहावली के लिए बधाई आदरणीया 

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 16, 2014 at 12:11pm

धड़कन पर बहुत ही सुन्दर दोहे रचे हैं आपने आदरणीया बधाई स्वीकारें.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 15, 2014 at 6:54pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत सुन्दर दोहों की रचना हुई है , आपको बधाइयाँ

Comment by Sarita Bhatia on May 15, 2014 at 1:54pm

शुक्रिया आदरणीय जवाहर जी 

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