दिल पर काबू ना रहे मिल जाते जो नैन
धड़कन धड़कन से मिले दिल को मिलता चैन |
दिल की यह मजबूरियाँ समझे कोई ख़ास
धड़कन बढ़ जाती अगर आता है वो पास |
तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |
तेरी धड़कन के सिवा कुछ भी ना अनमोल
सूना है सारा जगत इसका क्या है मोल |
धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद |
धड़कन चलती है अगर जीने की हो आस
अपनों का जो साथ हो बढ़ता है विश्वास ||
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
तेरी धड़कन के बिना मेरी भी बेकार
दोनों की मिलती अगर नैया लगती पार |
सभी दोहे एक से बढ़कर एक हैं ... सादर आदरणीय !
जितेन्द्र भाई हौंसला अफसाई के लिए शुक्रिया
मीना जी शुक्रिया
आदरणीय कुंती दीदी आभार
शुक्रिया आदरणीय श्याम जी
धड़कन से चालू हुआ धड़कन पर सब बंद
मोल समय का जान लो यह इसकी पाबंद
बहुत सुंदर दोहावली, मन को छू जाते भाव बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी
बहुत सुन्दर दोहावली ... सादर बधाई
सुंदर दोहे जो मन से लिखी गयी है. हार्दिक बधाई.
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