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अब हवा है , कोयला दहके तो अच्छा है
देख ले ये बात भी कहके तो अच्छा है
खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना
इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है
सीलती सी, उस अँधेरी झोपड़ी में भी ,
देखते हैं आप जो रहके , तो अच्छा है
कहकहा केवल नहीं अनुवाद जीवन का
दर्द भी आकर कभी चहके , तो अच्छा है
ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में
अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है
इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान
झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित ( संशोधित )
Comment
आदरणीय आशुतोष भाई , ग़ज़ल आपको पसंद आयी , गज़ल कहना सफल हुआ , आपका हार्दिक आभार ॥
आदरनीय बड़े भाई विजय जी , ग़ज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
मित्र
हवा है तभी तो कोयला अच्छा दहका है i
सदस्यता की बधाई i
भाईसाब ..बेहतरीन ग़ज़ल लिए बधाई।
खूब झेला पतझड़ों को, अब कोई कोना
इस चमन का भी ज़रा महके तो अच्छा है
इन सजावट के सभी हर्फों को झूठा मान
झाँक नीचे, ऊपरी तह के तो अच्छा है ....आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..बेहतरीन ग़ज़ल लिए तहे दिल बधायी इन शेरोन के लिए बिशेष रूप से बधाई स्वीकार करें ..सादर
ज़ोरदार गज़ल है।
ज़िन्दगी बेस्वाद लगती है लकीरों में
अब क़दम थोड़ा अगर, बहके तो अच्छा है// .... इसमें आपने ’उधर" को "अगर" कर दिया है तो यह शे’र बहुत ही अच्छा बना है।
संशोधन के बाद शे’र सारे ही अच्छे लगे। हाँ, शे’रों के कथन में यदि अधिक सम्बन्ध होता तो और भी मज़ा आता।
मेरे कहने का अभिप्राय यह नहीं कि गज़ल अच्छी नहीं है... गज़ल बहुत अच्छी है। दाद देता हूँ ... बधाई।
आदरनीय धर्मेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका तहे दिल से शुक्रिया ॥
भाई जी , आपकी सलाह उचित है , दोनो शे रों मे सुधार की आवश्यकता है , प्रयास मे हूँ , सूझते ही सुधार कर लूँगा ॥ आपका आभार ॥
आदरणीया सरिता जी , आपका हार्दिक आभार ॥
आदरणीय मदन मोहन भाई , हौसला अफज़ाई के लिये आपका दिली शुक्रिया ॥
आदरणीया मीना जी , उत्साह वर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार ॥
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