‘’ हमारे रिश्ते ‘’
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अगर रिश्ते सच में हैं , तो
मीलों की दूरियाँ
कमज़ोर नही करती रिश्तों की मज़बूती
मिलन की प्यास बढाती ज़रूर है
रिश्ते , मृग मरीचिका नहीं होते
कि , पास पहुँचें तो नज़र न आयें
भावनायें प्यासी रह जायें
रिश्ते
रेत मे लिखे इबारत भी नही होते
कि ,सफल हो जायें, जिसे मिटाने में
समय के समुद्र में उठती गिरती कमज़ोर लहरें भी
रिश्ते
शिला लेख की तरह होते हैं
समय के समुद्र में सुनामी भी आये
वैसे ही लिखे मिलेंगे ,
लहरों के शांत हो जाने के बाद
और मुझे यक़ीन है
हमारे रिश्ते रेत पर लिखे इबारत नहीं
शिला लेख हैं
जिसे समय या मीलों की दूरियाँ
मिटा नहीं सकेंगी
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मौलिक एवँ अप्रकशित
Comment
बहुत सुन्दर ॥ अतुकांत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ................. |
बहुत सुंदर भाव, रिश्ते होते ही है ऐसे जिनको दूरियां भेद न सके. बहुत बहुत बधाई आदरणीय गिरिराज जी
बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता है, रिश्तों की बहुत सटीक व्याख्या की है आपने इस कविता के लिये दिली मुबारक बाद
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