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ट्रैफिक नियम [दोहावली]

दायें बायें देख के, खुद को कर तैयार
राह सुरक्षित हो तभी, करना उसको पार ||

सड़क सुरक्षा के लिए, नियमों का कर ध्यान
राह बनेगी सरल तब और मिलेगा मान ||

ट्रैफिक सिग्नल के नियम, रखते हैं जो ध्यान
मंजिल मिलती है उन्हें, पथ होता आसान ||

तीन रंग का खेल है ,समझ न इसको खेल
पीला नीचे लाल के संग हरे का मेल ||

दिखे लाल बत्ती अगर, झट से रुकना यार
खतरे का हो सामना, किया अगर जो पार ||

पीली बत्ती देख के, हो जाना तैयार
फूंक फूंक के पग धरो ,जीवन के दिन चार ||

दिखे हरी बत्ती अगर, पार करो तब राह
जल्दी से देरी भली ,मेरी यही सलाह ||

जल्दी जल्दी क्यों करो, पथ जो करना पार
यह जीवन अनमोल है, यह जीवन उपहार ||

करके मदिरापान जो, अगर चलाई कार
कटता फिर चालान औ अपमानित बेकार ||

ट्रैफिक नियमों को अगर किया नहीं स्वीकार
जुर्माना हो साथ में जेल मिले तैयार ||

......................................................

...........मौलिक व अप्रकाशित................

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Comment

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Comment by vijay nikore on June 19, 2014 at 1:58pm

रचना में आपके विचार सार्थक हैं। बधाई।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 18, 2014 at 2:03am

ग़ज़ब ! बहुमूल्य सुझाव और सही नसीहत  !

इन उन्नत दोहो के लिए हार्दिक बधाई और अनेकानेक शुभकामनाएँ..

आदरणीया प्राचीजी का सुझाव क्यों उचित है, इसे समझियेगा.

सादर

Comment by annapurna bajpai on June 12, 2014 at 8:04pm

वाह !! सुंदर दोहवली , आ0 सरिता भाटिया जी कितने सुंदर  ढंग से आपने ट्रैफिक नियम समझाए है , बहुत बधाई आपको और आपकी लेखनी को नमन । 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 12, 2014 at 5:37pm

आदरणीया सरिता जी , बहुत अलग विषय ( ट्रफिक नियमों ) को दोहों के लिये आपके चुना है , बहुत सुन्दर दोहों की रचना की है , आपको बधाइयाँ ।

Comment by Sarita Bhatia on June 12, 2014 at 2:51pm

शुक्रिया शिज्जू भाई दिल खुश  हुआ 

Comment by Sarita Bhatia on June 12, 2014 at 2:50pm

आदरणीय गोपाल जी हार्दिक आभार 

Comment by Sarita Bhatia on June 12, 2014 at 2:50pm

शुक्रिया अरुण जी 

Comment by Sarita Bhatia on June 12, 2014 at 2:50pm

आदरणीया प्राची जी आपकी विस्तृत टिप्पिनी  पाकर दिल खुश हो गया 

मुझे लगा मैं अपने सन्देश को आप तक पहुंचा पाई ,हार्दिक आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 11, 2014 at 8:55pm

वाह आदरणीया सरिता जी कमाल कर दिया बेहतरीन दिलीदाद कुबूल फरमाएँ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 11, 2014 at 7:50pm

सरिता जी

आपने दोहों के माध्यम से उपयोगी जानकारी  दी i

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