“ आज का मैच तो बड़ा रोमांचक है यार, बड़े जबर्दस्त फार्म में है टीम...”
“अरे हाँ यार! तेरे घर तो मैच देखने का आनंद ही अलग है, पर यार ये अन्दर से कराहने की आवाज तेरी मम्मी की आ रही है क्या..?”
“ आने दे यार! वो तो उनकी रोज की आदत है, बूढी जो हो गई है थोड़ी देर में सो जाएँगी. तू तो मैच देख मैच”
जितेन्द्र ’गीत’
( मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
असंवेदनशीलता कहीं बुढ़ापे के प्रति, कहीं गरीबों के प्रति, कहीं महिलाओं/लड़कियों के प्रति...
यह मानव की मानव के प्रति असंवेदनशीलता हमारे समाज को छलनी कर रही है।
संदेश देती इस लघु कथा के लिय बधाई।
सुन्दर लघु कथा....बधाई....
//तेरे घर तो मैच देखने का आनंद ही अलग है, //.... इस आनन्द को एक् दो शब्दों मे विस्तार दे कर कथा को और कसा जा सकता है... सुधिजन विचार दे सकते हैं...
सादर.
आपकी उपस्थिति से रचना धन्य हुई, कुछ भी न कहे आदरणीया मीना दीदी. स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
आपकी सराहना से रचना सार्थक हुई आदरणीय जवाहर जी, स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
आदरणीया राजेश दीदी, आपकी उपस्थिति व् स्नेह हमेशा मुझे संबल देता है.
यह सारी असंवेदनशीलता सिर्फ उन लोगों में होती है जो अपने शौक या सुख में अपनों के दुःख ही भूल जाए और अपने दुखों में उन्हें भी शामिल कर लेते हों
सादर!
आप ने बिलकुल सही कहा आदरणीय डा.गोपाल नारायण जी, अपराध तो हर इंसान करता है. आज आप अपने थोड़े से मनोरंजन में उस कराहना को नही सुन पा रहे जो कभी आपकी उफ़ सुनकर अपना जी जान छोड़कर भागता है. फिर तो आप किसी के लिए भी ईमानदार नही हो. आपने रचना को अपना अमूल्य समय दिया रचना धन्य हुई, स्नेह व् आशीर्वाद बनाये रखियेगा
सादर!
आपके उत्साहवर्धक अनुमोदन हेतु आपका ह्रदय से आभारी हूँ आदरणीय डा.विजय जी,स्नेह बनाये रखियेगा
सादर!
जज्बातों को क्या पता कब समझेंगे...? या समझेंगे ही नहीं, यह कोई नही जानता आदरणीय शिज्जू जी, रचना पर आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से आभार
सादर!
...................... क्या कहूँ
आप सही कह रहीं है आदरणीया कुंती जी, कुछ नही कहा जा सकता क्या होगा..? रचना पर आपकी उपस्थिति से मनोबल मिलता है
आपका ह्रदय से आभारी हूँ
सादर!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online