पलकों ने चुम्बन के गीत सुने
आँखों ने ख़्वाबों के फूल चुने
साँसें यूँ साँसों से गले मिलीं
अंग अंग नस नस में डूब गया
हाथों ने हाथों से बातें की
और त्वचा ने सीखा शब्द नया
रोम रोम सिहरन के वस्त्र बुने
मेघों से बरस पड़ी मधु धारा
हवा मुई पी पीकर बहक गई
बाँसों के झुरमुट में चाँद फँसा
काँप काँप तारे गिर पड़े कई
रात नये सूरज की कथा गुने
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ Saurabh Pandey जी। स्नेह बना रहे
बहुत बहुत धन्यवाद Dr.Prachi Singh जी
बहुत बहुत धन्यवाद Ladiwala जी
बहुत बहुत शुक्रिया JAWAHAR LAL SINGH जी
बहुत बहुत धन्यवाद गिरिराज भंडारी जी
बहुत बहुत शुक्रिया जितेन्द्र 'गीत' जी
तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ Arun जी। स्नेह बना रहे
बहुत बहुत धन्यवाद rajesh kumari जी
बहुत बहुत शुक्रिया Meena Pathak जी
प्रस्तुत प्रेमगीत के माध्यम से नवीन बिम्ब-संरचना को स्वर मिला है.
हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय धर्मेन्द्रजी.
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