For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नवगीत : कब सीखा पीपल ने भेदभाव करना

धर्म-कर्म दुनिया में

प्राणवायु भरना

कब सीखा पीपल ने

भेदभाव करना?

फल हों रसदार या

सुगंधित हों फूल

आम साथ हों

या फिर जंगली बबूल

कब सीखा

चिन्ता के

पतझर में झरना

कीट, विहग, जीव-जन्तु

देशी-परदेशी

बुद्ध, विष्णु, भूत, प्रेत

देव या मवेशी

जाने ये

दुनिया में

सबके दुख हरना

जितना ऊँचा है ये

उतना विस्तार

दुनिया के बोधि वृक्ष

इसका परिवार

कालजयी

क्या जाने

मौसम से डरना

-------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2014 at 8:44pm

तहे-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ  Saurabh जी स्नेह बना रहे

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2014 at 8:43pm

बहुत बहुत शुक्रिया  Vindu  जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on December 8, 2014 at 8:43pm

बहुत बहुत धन्यवाद गिरिराज जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 3, 2014 at 12:19pm

पीपलत्व हमसभी का आचरण में आये... आमीन !!

एक सहज, प्रवहमान और सार्थक गीत के लिए हार्दिक बधाइयाँ. 

सादर

Comment by Vindu Babu on May 29, 2014 at 9:02pm

 रचना का कथ्य खूब  भाया आदरणीय धर्मेन्द्र जी।

प्रयास जारी रखें..हार्दिक शुभकामनायें।

सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 28, 2014 at 5:49pm

आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , सच है प्रकृति सबके प्रति सम भाव रखती है , इसीलिये प्रकृति को माँ के रूप मे भी देखते हैं । सुन्दर गीत के लिये आप्को हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 28, 2014 at 9:43am

बहुत बहुत धन्यवाद rajesh kumari जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 28, 2014 at 9:43am

बहुत बहुत शुक्रिया coontee mukerji जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on May 28, 2014 at 9:42am

बहुत बहुत धन्यवाद Meena Pathak जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 27, 2014 at 9:31pm

धर्म-कर्म दुनिया में

प्राणवायु भरना

कब सीखा पीपल ने

भेदभाव करना?---बहुत सही बात कही है ,प्रकृति कभी कोई भेद भाव नहीं करती 

बहुत सुन्दर नवगीत लिखा बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service