दिल के मिले ना दाम बाजार में
खुद को किया नीलाम बाजार में
दो वक़्त की रोटी जुटाने में भी
जेबें हुई नाकाम बाजार में
औरत ने अपना चीर खुद छोड़ा है
देखें खड़े ये श्याम बाजार में
अब दाल रोटी मुश्किलों से मिले
कैसे खरीदें आम बाजार में
थे पेट भूखे जिनको भरने को ही
कमसिन गुजारे शाम बाजार में
२२१२ २२१२ २१२
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
dhanywaad dosto aapki salaah aur sujhaaw hamesha margdarshan karenge,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अच्छी रचना!
आदरणीय गुमनाम भाई , हर शे र एक एके कड़वी सच्चाई बयान कर रहे हैं , बहुत सुन्दर !! आपको गज़ल कहने के लिये बधाई ॥
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