For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दुष्ट दुर्जन पशु बराबर हो गए,
आज कल इंसान पत्थर हो गए,

क़त्ल चोरी रेप दंगो के विषय,
सुर्ख़ियों में आज ऊपर हो गए,

स्वार्थ से कोमल ह्रदय को सींचकर,
प्रेम से वंचित हो ऊसर हो गए,

अंततः जब सत्य मैंने कह दिया,
प्राण लेने को वो तत्पर हो गए,

ढह गई दीवार आदर भाव की,
प्रेम के आवास खँडहर हो गए,

पथ प्रदर्शक जो कभी थे साथ में,
राह में वो आज ठोकर हो गए,

जो समय के साथ चलते हैं नहीं,
एक दिन वो बद से बदतर हो गए.

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 873

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 15, 2014 at 6:17pm

आपकी ग़ज़ल के कई शेर आज के दौर और हालात को बखूबी बयां करते हुए हैं, आदरणीय अरुन अनन्तजी.
बहुत-बहुत बधाई.
इस शेर के लिए विशेष दाद दूँगा.

पथ प्रदर्शक जो कभी थे साथ में,
राह में वो आज ठोकर हो गए,..

बहुत खूब !

Comment by Madan Mohan saxena on July 9, 2014 at 3:45pm

Beautiful

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:47am

आदरणीय गिरिराज सर बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल की सराहना हेतु स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:47am

आदरणीय शिज्जु भाई जी ग़ज़ल आपको पसंद आई सफल हुई बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:46am

आदरणीय विजय सर बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:45am

आदरणीय गुरुदेव श्री ग़ज़ल पर आपका आशीष प्राप्त हुआ ग़ज़ल सफल हुई आशीष एवं स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:45am

आदरणीय आशुतोष जी आपकी टिपण्णी से मन प्रसन्न हो गया ग़ज़ल की रूह तक आप पहुंचें ग़ज़ल सफल हुई हार्दिक आभार आपका.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:43am

आदरणीय केवल भाई बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:43am

आदरणीय गोपाल जी बहुत बहुत आभार आपका

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 9, 2014 at 10:43am

आदरणीया शालिनी जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service