आदरणीय गुरुजनों, अग्रजों एवं प्रिय मित्रों घनाक्षरी पर यह मेरा प्रथम प्रयास है कृपया त्रुटियों से अवगत कराएँ.
मनहरण - घनाक्षरी
क्रूरता कठोरता अधर्म द्वेष क्रोध लोभ
निंदनीय कृत्य पापियों का प्रादुर्भाव है,
दूषित विचार बुद्धि और हीन भावना है,
आदर सम्मान न ह्रदय में प्रेम भाव है,
नम्रता सहृदयता विवेक न समाज में,
सभ्यता कगार पर धर्मं का आभाव है,
बदली है वेषभूषा बदला है रंगढंग
बदला हुआ बड़ा मनुष्य का स्वाभाव है.
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
अनंत जी सुन्दर चित्रण आज के सामजिक परिदृश्य का अच्छी प्रस्तुति
भ्रमर ५
पहले प्रयास के हिसाब अच्छी प्रस्तुति हुई है. बहुत खूब !
बहुत -२ बधाई आदरणीय अरुण अनंत जी .. सुंदर प्रस्तुति के लिए /
बहुत बहुत धन्यवाद चन्द्र शेखर भाई जी
बहुत बहुत शुक्रिया जीतेंद्र भाई जी
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया अन्नपूर्णा जी
हार्दिक आभार आदरणीय गिरिराज सर
हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण सर
हार्दिक आभार आदरणीया सरिता जी किन्तु आपके सुझाव में अटकाव आ रहा है कृपया आप भी जांच लें ऐसा मुझे लगा
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