कभी कभी
सोचती हूँ मैं
जब हाथ भरा है लकीरों से
कुछ तो मतलब होगा इसका
हरेक के कोई मायने होंगे
कौन कौन सी लकीर किस किस तक़दीर के नाम
यह तो बताये कोई
मुझे समझाए कोई
सुना था...
हाथों की चंद लकीरों का
यह खेल है बस तकदीरों का
अपने हाथ में लकीरें तो बहुत हैं
पर तक़दीर शायद रूठ गई है
आप ठीक कहते थे
बदल जाती हैं तकदीरें
अगर मेहनत से हाथ की लकीरें बदल दी जाएँ
इसीलिए करती हूँ कोशिश
चमकाने की उन लकीरों को
अपनी हिम्मत से ,
मेहनत से ,
जज्बे से
.......................................................................
जो मिलता है मुझे अपनों से
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सुंदर प्रस्तुति ... बधाई स्वीकार करें ...
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इसीलिए करती हूँ कोशिश
चमकाने की उन लकीरों को
अपनी हिम्मत से ,
मेहनत से ,
जज्बे से//
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बधाई, आदरणीया सरिता जी।
सुंदर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आ. सरिता जी
सुन्दर भावपूर्ण i
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