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"पुष्प हरसिंगार का "

"गीत"
_____

श्याम घन नभ सोहते ज्योँ ग्वाल दल घनश्याम का ।

चंचला यमुना किनारे नृत्य रत ज्योँ राधिका ||


आ रहे महबूब मेरे
दिल कहे श्रृँगार कर ।

द्वार पर कलियाँ बिछा कर
बावरी सत्कार कर ।

प्यार पर सब वार कर
-दुल्हन सदृश अभिसार कर ।

अब गले लग प्राण प्रिय से
डर भला किस बात का |

श्याम घन नभ सोहते ज्योँ ग्वाल दल घनश्याम का ।

चंचला यमुना किनारे नृत्य रत ज्योँ राधिका ||

चाहती पलकें भी बिछना
हर कदम पर प्यार से |

कह रही हैं धडकनें भी
नाथ आ अब द्वार पे |

खिल गई चम्पा निशा में
भाव तीव्र सत्कार रख |

झुक गईं सब डालियाँ भी
पुष्प हर सिंगार का ||

श्याम घन नभ सोहते ज्योँ ग्वाल दल घनश्याम का ।

चंचला यमुना किनारे नृत्य रत ज्योँ राधिका ||

(मौलिक अप्रकाशित )

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Comment by Neeraj Neer on September 13, 2014 at 11:08am

बहुत सुंदर रचना ॥ बधाई माह की श्रेष्ट रचना के लिए॥ 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on September 11, 2014 at 8:07pm

आदरणीया छायाजी

भावपूर्ण प्रवाहमयी रचना पाठक को ब्रज तक ले गई। हार्दिक बधाई अगस्त माह की श्रेष्ट रचना के लिए

Comment by Dr. Gopal Krishna Bhatt 'Aakul' on September 10, 2014 at 6:42pm

सुंदर गीत और महीने के चयनित गीत के लिए बहुत बहुत बधाई छाया शुक्‍लाजी। 

Comment by seemahari sharma on September 2, 2014 at 11:24pm
कोमल भावनाओं से सजे सुंदर गीत के लिए बधाई छाया जी सप्रेम
Comment by Chhaya Shukla on August 25, 2014 at 2:27pm

दिल से धन्यवाद आपका बहन कल्पना रामानी जी सप्रेम ! 

Comment by कल्पना रामानी on August 24, 2014 at 10:38pm

बहुत सुंदर गीत के लिए आपको हार्दिक बधाई, आ॰ छाया जी

Comment by Chhaya Shukla on August 23, 2014 at 5:34pm

हार्दिक धन्यवाद narendrasingh chauhan जी गीत की सराहना के लिए नमन 

Comment by Chhaya Shukla on August 13, 2014 at 4:56pm

आभार आपका jawahar lal singh जी 

Comment by Chhaya Shukla on August 13, 2014 at 4:54pm

मीना पाठक जी दिल से शुक्रिया कबूल फरमाएं सुंदर सरहना के लिए !!

Comment by Meena Pathak on August 13, 2014 at 2:28pm

अति सुन्दर ....बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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