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ख्वाब जब दिल में हसीं पलने लगे है
अजनबी दो साथ में चलने लगे हैं
इश्क कोई अनबुझी सी है पहेली
जब हुआ सावन में तन जलने लगे हैं
वक़्त के अंदाज बदले यूं समझ लो
हुश्न आते पल्लू भी ढलने लगे हैं
आप के शानो पे सर रखते कसम से
लम्हे मेरी मौत के टलने लगे हैं
जिस घड़ी ओंठो को गुल के चूम बैठा
उस घड़ी से भौरों को खलने लगे हैं
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..
इश्क कोई अनबुझी सी है पहेली
जब हुआ सावन में तन जलने लगे हैं ,...सुन्दर भाव...आदरणीय.
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