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कल के लिए (लघुकथा)

"रागिनी ! इन छोटी छोटी बातों को नजरंदाज करना सीखो I"
"तो आप क्या चाहते हैं कि मैं चुप बैठी रहूँ ?"
"देखो अकेली यात्रा करोगी तो कोई न कोई ऐसा व्यवहार करेगा ही I अब क्या मिलेगा पुलिस में शिकायत करने से ?"
राजेंद्र ने छोटी बहन को समझाया।
"आपकी बेटी भी तो कुछ ही सालों में जवान हो जाएगी भाईसाब I "
भाई के माथे पर अचानक पसीने की बूँदें चुहचुहा उठीं।
"रुक रग्गो, गाड़ी निकालने दे मुझे, हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे रिपोर्ट लिखवाने I "
(संशोधित)
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by वेदिका on October 14, 2014 at 11:49am
कथा को आपका आशीष मिला आ० मीना दीदी जी!
सादर !!
Comment by वेदिका on October 14, 2014 at 11:48am
आपका आभार व्यक्त करती हूँ आ० सन्देश जी! वाकई में यदि ये कदम बीते कल में उठा लिया जाता तो आने वाला कल आज ही होता।
सादर !!
Comment by Meena Pathak on October 13, 2014 at 6:30pm

सार्थक सन्देश देती लघुकथा ..हार्दिक बधाई प्रिय गीतिका जी 

Comment by संदेश नायक 'स्वर्ण' on October 13, 2014 at 1:01pm

माननीया वेदिका जी,
' कल के लिए ' आगाह करके, आपने आज को दुरुस्त कर लेने की हिदायत दी है,, समूचे जन-मानस को | इस सतर्कतावादी, सारगर्भित कथा के लिए हार्दिक शुभकामनायें |

Comment by वेदिका on October 13, 2014 at 10:57am
आपने कथा के मर्म को छुआ आ० सचिन जी!सच है अपराधों के विरुद्ध किसी को दर्ज करना ही होगा आपत्तिकरण ताकि कल कुछ तो साफ़ हो। आपका आभार व्यक्त करती हूँ
सादर !!
Comment by Sachin Dev on October 9, 2014 at 2:29pm

आदरणीय गीतिका जी..... बेहतरीन  संदेशपरक लघुकथा पोस्ट करने के लिये हार्दिक शुभकामनाये..... दरअसल आज हमारे समाज मैं लड़कियों और नारियों के खिलाफ जो अपराध बढते जा रहे हैं उसमे बहुत बड़ा योगदान हमारे समाज की इसी मानसिकता का है कि हम अपराधी के विरुद्ध खड़े नही होते कई परिस्तिथियाँ होती हैं जो लड़कियों को रोकतीं हैं और ऐसे ही अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं ... एक अच्छा सन्देश प्रेषित करने के लिये हार्दिक शुभकामनाये आपको .....

Comment by वेदिका on October 9, 2014 at 1:08pm
रचना आदरणीय प्रधान सम्पादक जी के निर्देशन में कथा को संशोधित कर प्रकाशित की है। आभार प्रकट करती हूँ
आदरणीय बागी जी आपको आभार प्रेषित करती हूँ
सादर !!
Comment by वेदिका on October 9, 2014 at 10:34am
आपका आभार व्यक्त करती हूँ आ० गिरीराज जी! आ० विनय जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on October 3, 2014 at 8:45pm

आदरणीया गीतिका जी , विषय का चुनाव बहुत सुन्दर है , बधाइयाँ |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 3, 2014 at 9:05am

आदरणीया वेदिका जी, बहुत भ्रमित करती है यह लघुकथा, कई बार पढ़ा तथ्यों को समझने के लिए  ....... 

//राजेंद्र ने छोटी बहन को समझाया//

//"आपकी पाँच साल की बेटी भी दस साल बाद बड़ी होगी छोटे भाईसाब"//

भाई बड़ा है या छोटा ? 

//आवेदन में संलग्नक// 

कहानी में इस पक्ति की उपयोगिता ? कैसा आवेदन, कैसा संलग्नक ? 

"रुक रग्गो!

ये रग्गो कौन है ? अगर रागिनी ही रग्गो है तो रागिनी की जगह रग्गो करने से समझना आसान होता। 

इस प्रयास पर बधाई, कथा को अंतिम रूप देने से पहले कई बार पढ़ लें और प्रत्येक बार कमियों को पकड़ सुधार करें। 

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