"रागिनी ! इन छोटी छोटी बातों को नजरंदाज करना सीखो I"
"तो आप क्या चाहते हैं कि मैं चुप बैठी रहूँ ?"
"देखो अकेली यात्रा करोगी तो कोई न कोई ऐसा व्यवहार करेगा ही I अब क्या मिलेगा पुलिस में शिकायत करने से ?"
राजेंद्र ने छोटी बहन को समझाया।
"आपकी बेटी भी तो कुछ ही सालों में जवान हो जाएगी भाईसाब I "
भाई के माथे पर अचानक पसीने की बूँदें चुहचुहा उठीं।
"रुक रग्गो, गाड़ी निकालने दे मुझे, हम सब तुम्हारे साथ चलेंगे रिपोर्ट लिखवाने I "
(संशोधित)
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सार्थक सन्देश देती लघुकथा ..हार्दिक बधाई प्रिय गीतिका जी
माननीया वेदिका जी,
' कल के लिए ' आगाह करके, आपने आज को दुरुस्त कर लेने की हिदायत दी है,, समूचे जन-मानस को | इस सतर्कतावादी, सारगर्भित कथा के लिए हार्दिक शुभकामनायें |
आदरणीय गीतिका जी..... बेहतरीन संदेशपरक लघुकथा पोस्ट करने के लिये हार्दिक शुभकामनाये..... दरअसल आज हमारे समाज मैं लड़कियों और नारियों के खिलाफ जो अपराध बढते जा रहे हैं उसमे बहुत बड़ा योगदान हमारे समाज की इसी मानसिकता का है कि हम अपराधी के विरुद्ध खड़े नही होते कई परिस्तिथियाँ होती हैं जो लड़कियों को रोकतीं हैं और ऐसे ही अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं ... एक अच्छा सन्देश प्रेषित करने के लिये हार्दिक शुभकामनाये आपको .....
आदरणीया गीतिका जी , विषय का चुनाव बहुत सुन्दर है , बधाइयाँ |
आदरणीया वेदिका जी, बहुत भ्रमित करती है यह लघुकथा, कई बार पढ़ा तथ्यों को समझने के लिए .......
//राजेंद्र ने छोटी बहन को समझाया//
//"आपकी पाँच साल की बेटी भी दस साल बाद बड़ी होगी छोटे भाईसाब"//
भाई बड़ा है या छोटा ?
//आवेदन में संलग्नक//
कहानी में इस पक्ति की उपयोगिता ? कैसा आवेदन, कैसा संलग्नक ?
"रुक रग्गो!
ये रग्गो कौन है ? अगर रागिनी ही रग्गो है तो रागिनी की जगह रग्गो करने से समझना आसान होता।
इस प्रयास पर बधाई, कथा को अंतिम रूप देने से पहले कई बार पढ़ लें और प्रत्येक बार कमियों को पकड़ सुधार करें।
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