For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरे कूंचे से यूं खामोश गुजरकर मैंने

2122   1122   1122  22

तेरे कूंचे से यूं खामोश निकलकर  मैंने 

तेरे दीदार किये रूप बदलकर मैंने 

इक हिमालय  की तरह तुमसे मिला था लेकिन

 पाँव  अब चूम लिए तेरे पिघलकर मैंने 

 भौरों कलियों कि कभी  बात न मुझसे करना 

उम्र अब तक तो है काटी यूं बहलकर मैंने 

आजमाया है हुनर आज किसी बच्चे का

उनसे दिल मांग लिया उनका मचलकर मैंने  

दिल की चाहत तो है इजहारे मुहब्बत करना 

बात पर तुझसे सदा ही कि संभलकर मैंने 

क्या है परवानो का अंजाम पता है मुझको

फिर भी लव चूम लिए खाक में मिलकर मैंने 

 

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 674

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 13, 2014 at 1:26pm

आदरणीय जीतेन्द्र जी ..आपका स्नेह हमेशा इसी तरह मिलता रहे इसी कामना के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 13, 2014 at 1:26pm

आदरणीय विजय सर ..आप के उत्साह भरे शब्दों से मुझे सतत नूतन उर्जा मिलती है सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 13, 2014 at 1:25pm

आदरणीया मीना जी आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे धन्यवाद सादर 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 12, 2014 at 11:22pm

बहुत सुंदर भावपूर्ण गजल. दिली बधाई स्वीकारें आदरणीय डा. आशुतोष जी

Comment by vijay nikore on October 12, 2014 at 12:55pm

गज़ल के भाव बहुत अच्छे लगे।  हार्दिक बधाई, आदरणीय  आशुतोष जी।

Comment by Meena Pathak on October 12, 2014 at 11:59am

बहुत सुन्दर गज़ल ..बधाई आदरणीय आशुतोष जी | सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 11, 2014 at 10:14pm

आदरणीया राज जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 11, 2014 at 6:34pm

इक हिमालय  की तरह तुमसे मिला था लेकिन

 पाँव  अब चूम लिए तेरे पिघलकर मैंने ---------वो मुहब्बत ही क्या जो घमंडी  का सर झुका न सके ,बेहतरीन शेर 

सुन्दर ग़ज़ल हुई आ० आशुतोष जी दिल से दाद कबूलें 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 10, 2014 at 2:33pm

आदरणीय सोमेश जी ..हौसला अफजाई के लिए तहे दिल धन्यवाद के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 10, 2014 at 2:33pm

आदरणीय विजय सर ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
12 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service