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घर मेरे सावन का..............................

आज मौसम   ....बड़ा आशिकाना है

शब्द के मोतियों से  उन्हें सजाना है

 

हर्फ़ में ही सही  तस्वीर बनाई बहुत

कहीं और    जिनका अब ठिकाना है

 

जिसकी खातिर यहाँ रातें बिताई बहुत

उनका इधर से यूँ रोज आना जाना है

 

ख्वाब में डाल पर झूले झूलेंगे हम

घर मेरे सावन का यूँ आना जाना है

 

स्वप्न में आकर फ़िर से लुभाओ प्रिय

जहाँ  न मेरा न तेरा कोई  बहाना है

 

कैसे कह दूँ उन्हें प्यार करता नहीं

पहले दीदार से  ये.जिनका दीवाना है

....................................................@आनन्द 11/10/2014    "मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by ram shiromani pathak on October 13, 2014 at 9:13pm
वाह बहुत प्यारी ग़ज़ल।।हार्दिक बधाई आपको
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on October 12, 2014 at 11:42pm

सुंदर सहज पंक्तियाँ. बधाई आदरणीय आनंद जी

Comment by somesh kumar on October 12, 2014 at 6:38pm

कैसे कह दूँ उसे प्यार नही करता 

ये दिल पहले दीदार से उसका दीवाना है 

प्रेम पर एक सार्थक रचना 

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