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गज़ल ~ फिर मेरे होँठोँ की तुम

2122 2122 2122 212

फिर मेरे होँठोँ की तुम मुस्कान लेकर आ गये ।
जा रही थी जिन्दगी तुम जान लेकर आ गये ।

ख्वाबोँ के उजडे शहर मेँ कोई दस्तक हो गयी ,
तुम सजाकर फिर नये अरमान लेकर आ गये ।

मेरी किस्मत ने दिखाई और ही तस्वीर थी ,
जिन्दगी की तुम अलग पहचान लेकर आ गये ।

प्यार खुशबू सादगी अहसास नग्मा आरजू ,
दिल मेँ तुम कितने हँसी मेहमान लेकर आ गये ।

आज तो मौसम जुदा है आज आलम और है ,
तुम बदलते वक्त का फरमान लेकर आ गये ।

मौलिक व अप्रकाशित
नीरज

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Comment

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Comment by कंवर करतार on December 4, 2014 at 10:14pm

नीरज भाई,सुंदर ग़ज़ल बन पाई है, बधाई I  

Comment by Neeraj Nishchal on December 4, 2014 at 8:48pm
बहुत बहुत धन्यवाद गुमनाम जी ।
Comment by gumnaam pithoragarhi on December 4, 2014 at 8:10pm
बहुत खूब.... गजल पर आपको दिल से बधाईबहुत खूब , बधाई।
Comment by gumnaam pithoragarhi on December 4, 2014 at 8:10pm
बहुत खूब.... गजल पर आपको दिल से बधाईबहुत खूब , बधाई।
Comment by Neeraj Nishchal on December 4, 2014 at 6:34pm
आदरणीया सीमा तिवारी जी बहुत बहुत आभार प्रकट करता हूँ करा आपका ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 4, 2014 at 6:32pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय विजय निकोर जी ।
Comment by seematiwari on December 4, 2014 at 5:55pm
मेरी किस्मत ने दिखाई और ही तस्वीर थी ,

जिन्दगी की तुम अलग पहचान लेकर आ गये ।...बहुत खूब!!!




बहुत सुंदर शेर कहे है आपने आदरणीय नीरज जी...खुबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको बधाई
Comment by vijay nikore on December 4, 2014 at 5:07pm

खूबसूरत रचना के लिए बधाई।

Comment by Neeraj Nishchal on December 4, 2014 at 11:10am
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नरायण वर्मा जी ।
Comment by Neeraj Nishchal on December 4, 2014 at 11:06am
बहुत बहुत धन्यवाद अदा करता हूँ आदरणीय संजय शर्मा जी आपका आपने इतने प्रेम से गजल सराही आप के सुझाव पर ध्यान देने का प्रयास करूँगा ।

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