For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल- ग़म खुशी में मुब्तला है

2122  2122

ये भी जीने की अदा है

ग़म खुशी में मुब्तला है

 

रात भी है चाँद भी और

चाँदनी की ये रिदा है

 

नेस्त हो जाएगा इक दिन

रेत पर जो घर बना है

 

हादसों के दरमियाँ इक

ज़िन्दगी का सिलसिला है

 

मखमली सा लम्स तेरा

सर्द जैसे ये सबा है

 

तुझमें है यूँ अक्स मेरा

तू कि जैसे आइना है

 

मैं नहीं तन्हा सफ़र में

साथ अपनो की दुआ है

 

छोर पर नाकामियों के

मंज़िलों का रास्ता है

 

साँस ही है इब्तिदा और

साँस ही तो इंतिहा है

 

नाखुशी ज़ाहिर करो तुम

दिल जलाना क्या बजा है

 

क्या कहूँ मैं क्या लिखूँ अब

चश्मे नम से क्या दिखा है

(रिदा= चादर, नेस्त= ध्वस्त, लम्स= स्पर्श, बजा= ठीक)

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 779

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 21, 2014 at 9:14am

आदरणीया मंजरी जी रचना को समय देने एवं सराहना के लिये मैं आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ

Comment by mrs manjari pandey on December 17, 2014 at 9:52pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी एक अच्छी ग़ज़ल । बधाई ।

ये भी जीने की अदा है
ग़म खुशी में मुब्तला है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2014 at 6:00pm

आदरणीय गिरिराज सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 16, 2014 at 6:00pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on December 16, 2014 at 9:43am

हादसों के दरमियाँ इक

ज़िन्दगी का सिलसिला है  - सत्य वचन ! बहुत खूब आ. शिज्जु भाई , गज़ल के लिये दिली बधाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 15, 2014 at 8:05pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल ,
क्या कहूँ मैं क्या लिखूँ अब
चश्मे नम से क्या दिखा है ॥
बधाई , आदरणीय शिज्जु शकूर जी। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 15, 2014 at 7:37pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायण सर ये आपका स्नेह है जो इतना मान दे रहें मैं जो भी लिखता हूँ बस आप सभी का आशीष होता है। आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 15, 2014 at 7:35pm

आदरणीय अजय शर्मा जी ये आपका स्नेह है, शुक्रिया आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 15, 2014 at 7:34pm

आदरणीय मिथिलेश जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 15, 2014 at 7:34pm

आदरणीय गुमनाम जी रचना की सराहना के लिये आपका तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"प्रवृत्तियॉं (लघुकथा): "इससे पहले कि ये मुझे मार डालें, मुझे अपने पास बुला लो!" एक युवा…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"स्वागतम"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"है सियासत की ये फ़ितरत जो कहीं हादसा हो उसको जनता के नहीं सामने आने देना सदर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय पंकज जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय अमित जी  बहुत बहुत शुक्रिया सज्ञान लेने के लिए कोशिश करती हूं समझने की जॉन साहब को भी…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई पंकज जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. रिचा जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई जयनित जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई दिनेश जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-176
"आदरणीय लक्ष्मण जी ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, शेष अमित जी ने विस्तृत इस्लाह की है। "
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service