For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल ज़िन्दगी जाती सरकती..... सीमा हरि शर्मा

जिंदगी जाती सरकती

ज़िन्दगी जाती सरकती।
लाख पकड़ो कब ठहरती।

जो भी पल समझा मुकम्मल।
फिर नई इक दौड़ चलती।

सूर्य समझा जो सहर का।
शाम थी लाली फिसलती।

थक चुका है जिस्म चलते।
चाह से क्या जां निकलती।

धुन्द जब है कुछ पलों की।
रश्मि आखिर क्यों अटकती।

झूमती दिखती जो डाली।
आँधियों से है सिहरती।

रात से लड़ता है दीपक।
आस सुबहा की मचलती।
सीमा हरि शर्मा 24.12.2014
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 769

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 3:17pm
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत बहुत आभार ।
Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 3:15pm
आदरणीय gumnaam pithoragarahi जी बहुत बहुत आभार
Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 3:11pm
आदरणीय Vanadna जी ब्वाहुत बहुत आभार स्नेह बनाये रखें।
Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 3:08pm
आभार आ.Shyam Narain Verma जी।
Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 3:05pm
आदरणीय गोपाल नरायन श्रीवास्तव जी बहुत बहुत आभार आपने गजल को पसंद किया स्नेह आशीर्वाद बनाये रखें सादर।
Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 3:02pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय Hari Prakash Dubey जी। होंसला बढ़ाने के लिए
Comment by seemahari sharma on December 26, 2014 at 2:58pm
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आप गजल के पारखी एवं गजल को गहराई से जानने वाले हैं आप गलती नही कर सकतें हैं हो सकता है बारीकी में जाने पर कुछ गलतियाँ हो आपसे सदैव मार्गदर्शन की अपेक्षा है सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on December 25, 2014 at 6:04pm

जो भी पल समझा मुकम्मल।
फिर नई इक दौड़ चलती।.....सुन्दर रचना आदरणीया सीमा हरि शर्मा जी, हार्दिक बधाई !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 25, 2014 at 12:23pm

सीमाहरी जी

अच्छी गजल हुयी है i

थक चुका है जिस्म चलते।
चाह से क्या जां निकलती।

धुन्द जब है कुछ पलों की।
रश्मि आखिर क्यों अटकती।

Comment by Shyam Narain Verma on December 25, 2014 at 11:38am

आपको इस उम्दा ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय मिथिलेश भाई, रचनाओं पर आपकी आमद रचनाकर्म के प्रति आश्वस्त करती है.  लिखा-कहा समीचीन और…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ सर, गाली की रदीफ और ये काफिया। क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस शानदार प्रस्तुति हेतु…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .इसरार

दोहा पंचक. . . .  इसरारलब से लब का फासला, दिल को नहीं कबूल ।उल्फत में चलते नहीं, अश्कों भरे उसूल…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। आयोजन में सहभागिता को प्राथमिकता देते…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरना जी इस भावपूर्ण प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। प्रदत्त विषय को सार्थक करती बहुत…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त विषय अनुरूप इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। गीत के स्थायी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपकी भाव-विह्वल करती प्रस्तुति ने नम कर दिया. यह सच है, संततियों की अस्मिता…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आधुनिक जीवन के परिप्रेक्ष्य में माता के दायित्व और उसके ममत्व का बखान प्रस्तुत रचना में ऊभर करा…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"आदरणीय मिथिलेश भाई, पटल के आयोजनों में आपकी शारद सहभागिता सदा ही प्रभावी हुआ करती…"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ   .... बताओ नतुम कहाँ होमाँ दीवारों मेंस्याह रातों मेंअकेली बातों मेंआंसूओं…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-178
"माँ की नहीं धरा कोई तुलना है  माँ तो माँ है, देवी होती है ! माँ जननी है सब कुछ देती…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service