(2122 2122 2122 2122)
दोस्ती कैसे निभाएं कोई पैमाना कहाँ है
हीर रान्झू का नया सा आज अफ़साना कहाँ है
प्यार से ही जो बदल दे हर अदावत की फ़जा को
संत मुर्शिद सूफ़ी मौल़ा ऐसा मस्ताना कहाँ है
ख़ुद गरज नेता वतन का तो करेंगे वो भला क्या
मार हक़ फिर देखते हैं वो कि नजराना कहाँ है
अंजुमन में रिन्दों की भी बैठ कर देखें जरा हम
हाल सब का पूछते वो कोई अनजाना कहाँ है
हर ख़ुशी कुर्बान कर दे खुद वतन के वास्ते जो
पासवां सरहद का ऐसा और परवाना कहाँ है
बाँट दे मज़हव भले ही इंसान को ही टोलियाँ में
थाम ले गिरते हुए को वो तो बेगाना कहाँ है
है इनायत जिस की हर दम और चारों ओर'कंवर'
ढूंढ लें दैरो-हरम भी उसका दीवाना कहाँ है
(मौलिक व अप्रकाशित )
Comment
आप तकती’अ कराना सीख लें तो बेडा पार हो जाए आदरणीय
भण्डारी भाई ,होसला आफ्साई के लिये शुक्रिया I वहर में जरूर ही कमियाँ रही हैं Iआप जैसे पारखी दोस्तों की नजर की पकड़ से जरूर सुधार होगा Iबहुत बहुत धन्यबाद I
भाई शकूर साहिब ,अभी ब्लॉग में मेरी यह दूसरी रचना है और आपने पहली रचना पर भी होसला बढ़ाया थाI इसी तरह जुड़े रहें बहुत अच्छा लगेगा I शुक्रिया I
आदरणीय कँवर करतार भाई , आपकी गज़ल के हर अश आर बात सुन्दर कह रहे हैं , बहर मे कुछ कमियाँ है , आ. खुर्शीद भाई की बतों का संज्ञान ज़रूर लें । प्रयास के लिये बधाइय़ाँ ।
सत्कार योग्य भाई दुबे जी ,रचना पसंद आई इस के लिए आपका शुक्रगुजार हूँ I
भाई खुर्शीद,दाद के लिए दिल की गहराइयों से शुक्रगुजार हूँ Iइस फोरम से जुड़ कर बहुत ही अच्छा लग रहा है और आप जैसे पारखी साहित्यकारों की तार्किक आलोचना से बहुत कुच्छ सीखने को मिलेगा और लेखन की इस बिधा में निखार आयेगा Iगुजारिश है की इसी तरह अपना सहयोग देते रहें Iअन्यथा लेने का सवाल ही नहीं Iकोशिश करुंगा गलतियों को सुधारने की Iहाँ ,एक मिशरे में दोस्ती लफ्ज का तकतिअ करें तो में समझता हूँ कि आधा 'स' को बोलने में 'दो' के साथ ही लिया जाए अलग से नहीं अतः 'कोई दोस्ती' के लिए तोल 22 लिया जाए न कि 212 आपका सुझाब सर माथे कवूल है दूसरे मिशरों को स्वर के अनुसार ठीक करने की कोशिश जारी रहेगी I बहुत बहुत शुक्रिया I
डॉ.शंकर भाई,ग़ज़ल पर दाद फरमाया ,तह दिल से शुक्रिया Iइसी तरह होसला बढाते रहें ,धन्याबाद I
श्याम बर्मा जी ,दाद के लिए धन्यबाद I
प्रिय डांगी भाई ,ग़जल अच्छी लगी शुक्रिया I
भाई मिथिलेश ,होसलाफसाई के लिए शुक्रिया I
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