For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ बदला है क्या?

सचमुच,कुछ बदला है क्या?

हाँ ...

बदली हैं सरकारें, लेकर लुभावने वादे,

खाऊँगा न खाने दूंगा,

साफ़ करूंगा, साफ़ रखूंगा,

मेक इन इण्डिया

मेड इन इण्डिया

‘सायनिंग इण्डिया’ का नया संस्करण

बलात्कार इन इण्डिया(?)

कुर्सी वही, संसद वही

किरदार नए, भोंपू वही

वादे नए

बढ़ेंगे, रोजगार के अवसर

होंगे हम, आत्म निर्भर

विदेशी निवेश के भरोसे!

 

आइये, बिछाइये, ग्रीन कारपेट  

‘वे’ आनेवाले हैं, लेकर लाव लश्कर!  

 

मौलिक व अप्रकाशित 

- जवाहर लाल सिंह 

Views: 582

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 20, 2015 at 9:28am

उत्साहजनक प्रतिक्रिया के लिए आदरणीया अर्चना तिवारी जी का हार्दिक अभिवादन!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:46am

आदरणीय लडीवाला साहब, सादर अभिवादन! उत्साह वर्धन हेतु हार्दिक आभार!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:45am

आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सादर अभिवादन!

आपने बिलकुल सही कहा है हम बिलकुल नहीं बदले हैं, अपने आस पास वैसे ही गंदगी का ढेर देखते हैं, जहाँ तहां थूकते भी हैं और नशा ? उसकी तो पूछिए मत कल पिकनिक गया था. नशा और गन्दगी का आलम जो देखा .... सब कुछ वही ...सिर्फ रोना... है महंगाई ...सरकार ,,,, हम सब हैं बेकार विभिन्न समुदायों की मंडली देखकर भी भारत के दर्शन हुए...सादर!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:40am

आदरणीय हरिप्रकाश दुबे जी, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया और पंक्तियाँ चिह्नित करने हेतु आभार !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:39am

आदरणीय उमेश कटारा जी, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया हेतु आभार !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:38am

आदरणीया प्रतिभा त्रिपाठी जी उत्साह वर्धक और विवेचनात्मक पर्तिक्रिया हेतु आपका हार्दिक आभार 

Comment by Archana Tripathi on January 19, 2015 at 10:38am
हम ग्रीन कार्पेट ही बिछाते रहेंगे ।कुछ बदलेगा ऐसा तो नहीं लगता।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:36am

आदरणीय डॉ. विजय शकर साहब, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धक काव्यात्मक प्रतिक्रिया हेतु अत्यंत आभार !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:34am

आदरणीय मिथिलेश साहब, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया हेतु आभार !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on January 19, 2015 at 10:33am

आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण साहब, सादर अभिवादन!

उत्साहवर्धक पर्तिक्रिया हेतु आभार !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
7 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
8 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
9 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
9 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागतम"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाई , वाह ! बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश भाई  हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल हुई है,  हार्दिक  बधाई वीकार…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण  भाई , अच्छी ग़ज़ल कही , बड़ी कठिन रदीफ़ चुनी आपने , हार्दिक  बधाई आपको "
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें मक्ता शायद अपनी बात नहीं कह पा रहा…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति हमेशा प्रेरणा दाई  होती है , ग़ज़ल के कुछ शेर आपको अच्छे…"
12 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service