For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ठंढ में भी उन्ही की आत्मा सिहरती है.

ग्रीष्म में भी लू गरीबो को ही लगती है

ठंढ में भी उन्ही की आत्मा सिहरती है.

रिक्त उदर जीर्ण वस्त्र छत्र आसमान है

हाथ उनके लगे बिना देश में न शान है

काया कृश सजल नयन दघ्ध ह्रदय करती है

ठंढ में भी उन्ही की आत्मा सिहरती है.

गगनचुम्बी भवनों की नींव में गरीब है.

महानगरों में इनकी बस्ती भी करीब है.

हारे खिलाड़ी सी इनकी शकल दिखती है

ठंढ में भी उन्ही की आत्मा सिहरती है.

सड़क के किनारे देखा लम्बी सी कतार है

कोई नेता आएंगे गूंजे जय जयकार है      

नेता की ईज्जत भी दीन-भीड़ करती है

ठंढ में भी उन्ही की आत्मा सिहरती है.                                     

 

 

 (मौलिक व अप्रकाशित)

- जवाहर लाल सिंह 

 

 

Views: 625

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 30, 2014 at 7:20pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्रीमान लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 30, 2014 at 7:20pm

इतनी अच्छी प्रतिक्रिया देकर आपने मेरा उत्साह बढ़ाया  है आदरणीय सोमेश कुमार जी!

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 30, 2014 at 7:18pm

उत्साहवर्धन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय श्री हरि प्रकाश दुबे जी!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 30, 2014 at 1:45pm

गरीब की कठिनाई से आहत होकर रची सुंदर रचना  के  लिए हार्दिक बधाई श्री जवाहर लाल सिंह जी 

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 10:44am

वाह ,मजदूरों के यथार्थ पर कितनी सुंदर सम्वेदना प्रस्तुत की है |काश!ये रचना साधन-सम्पन्नों की आत्मा को झकझोरे |

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 11:04pm

 आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी आपको हार्दिक बधाई  इस रचना के लिये !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 29, 2014 at 10:48pm

आदरणीय शिज्जू शकूर साहब, सादर अभिवादन! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 29, 2014 at 10:46pm

आदरणीय श्री गोपाल नारायण जी, सादर अभिवादन! आपकी उत्साहवर्धक और रचनात्मक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 29, 2014 at 10:45pm

आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी, सादर अभिवादन! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 29, 2014 at 10:44pm

आदरणीय शरद सिंह विनोद जी, सादर अभिवादन! आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय तिलक जी नमस्कार बहुत खेद है पहली बार ये गलती हुई मुझसे सादर एक कोशिश की है__ सादर चोट पहले…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सुधार और बेहतरी की पुनः कोशिश करूंगी सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार अच्छे मतले के साथ ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय निलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय जयहिंद जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए  गुनीजनों की टिप्पणी…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। सुझाव के बाद अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"ग़ज़ल में गिरह का शेर रह गया। "
5 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई। "
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service