For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

............त्याग बलिदान सॆ.........

............त्याग बलिदान सॆ.........
-------------------------------------------------

कभी त्याग बलिदान सॆ कभी जीवन-मरण सॆ निकलती है !
कविता कलम सॆ नहीं कवि कॆ अंतःकरण सॆ निकलती है !!
कभी बिंदु मॆं समॆट लॆती चराचर संसार यह,
नयन बिन दॆख लॆती है क्षितिज कॆ पार यह,
हवाऒं का रूप धर लिपट जाती वृक्ष कॆ गलॆ,
कभी बूँद बन नीर की पुकारती रसातल तलॆ,
कभी शबनम का रूप धर, यॆ पर्यावरण सॆ निकलती है !!१!!
कविता कलम सॆ नहीं.................................................
शहरॊं का शॊर-गुल कभी दूर दॆश गाँव बन,
करुणा का सागर कभी आँचल की छाँव बन,
हिम-शिखर चॊटी कभी सरिता की धार बन,
संघर्ष की पतवार बन झाँसी की तलवार बन,
शशि कॆ सौम्य सॆ कभी,कभी रवि-किरण सॆ निकलती है !!२!!
कविता कलम सॆ नहीं...................................................
सूर तुलसी कबीर बनी द्रॊपदी का चीर बनी,
सीरी-फ़रहाद बनी कभी रांझा और हीर बनी,
जुल्म की जंजीर बनी सरहद की लकीर बनी,
यॆ प्याला बन ज़हर का मीरा की तस्वीर बनी,
एकलव्य कॆ अँगूठॆ सॆ कभी अँगद कॆ चरण सॆ निकलती है !!३!!
कविता कलम सॆ नहीं..............................................
आदि बनी अंत बनी निराला और पंत बनी,
जॊग बनी भॊग बनी दुर्वाशा- दुश्यन्त बनी,
गीत गज़ल छंद बनी बिषमता का द्वंद बनी,
ऋतु का श्रँगार कभी मीन मॊर मकरंद बनी,
कामधॆनु कल्पतरु और कल्पना कॆ ब्याकरण सॆ निकलती है !!४!!
कविता कलम सॆ नहीं.................................................
हृदय मॆं हिलॊर लॆती नव सृजन चॆतना कभी,
शब्द-शब्द मॆं हॊती है प्रसव जैसी वॆदना कभी,
भूल जाता सर्वश जब लक्ष्य का बॆधना कभी,
कविता का रूप धर लॆती हॄदय -संवॆदना तभी,
दधीचि की अस्थियॊं सॆ कवच और करण सॆ निकलती है !!५!!
कविता कलम सॆ नहीं.............................................

(कवि-राजबुँदेली)

Views: 404

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shubhranshu Pandey on January 15, 2012 at 1:00pm

सृजन के विन्दुओं का बखान करती बढ़िया कविता.  शुभकामनायें

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on January 15, 2012 at 12:03am

धन्यवाद,,,,आभारी हूं,,,,,ओ.बी.ओ.परिवार का,,,,,,,,,,,,,,,,,,,


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 14, 2011 at 11:39pm

कविता कलम सॆ नहीं कवि कॆ अंतःकरण सॆ निकलती है !!

क्या बात कही है कविराज , बहुत सुंदर

 

यॆ प्याला बन ज़हर का मीरा की तस्वीर बनी,
एकलव्य कॆ अँगूठॆ सॆ कभी अँगद कॆ चरण सॆ निकलती है

 

बेहद वजनदार और सटीक रचना , काफी रुचिकर लगी यह रचना , बधाई हो ! 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
1 hour ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
1 hour ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
4 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
7 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
10 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service