For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हंसना मना है,,,,,,,,

सामान एक से एक, आला दहेज़ में मिला !
बहरी बीबी गूंगा, साला मिला है दहेज़ मॆं !!१!!

एक आंख नकली है,एक टांग सॆ भी लंगड़ा,
है रंग चॊखा भुजंग काला, मिला है दहॆज़ मॆं !!२!!

नागिन कॊ मात दॆती हैं मॆरी तीनॊं सालियां,
ससुरा भी नशॆड़ी मतवाला,मिला है दहॆज़ मॆं !!३!!

मॆज़बानी मॆं पहलॆ दिन, दारू ठर्रा मिली थी,
बिदाई मॆं एक पटियाला, मिला है दहॆज मॆं !!४!!

दहेज की रकम से सारा कर्जा निपट जाता,
ससुरा तो खुद कर्ज़ वाला,मिला है दहेज़ मॆं !!५!!

शादी रचा के सोचा था, दीवाली मनायॆंगॆ,
दीवाली के बदलॆ दिवाला,मिला है दहॆज़ मॆं!!६!!

कूलर,टी.बी.,फ़्रिज,पलंग शो-केश कुछ नहीं,
बस एक चावी एक ताला,मिला है दहॆज़ मॆं !!७!!

ससुर सालों ने मिलके,ज़िंदगी की बजा दी,
उसका यार पड़ोसवाला,मिला है दहेज़ मॆं !!८!!

फ़ोटो दिखाके वालिद ने दाल अपनी गलाई,
मगर दाल मे सब काला, मिला है दहेज़ में !!९!!

भारत मॆं भ्रष्टाचार की जड़ॆं बॆहद मजबूत हैं,
ससुराल मॆं भी घॊटाला, मिला है दहॆज मॆं !!१०!!

इसी मॆ संतॊष है"राज़" हमकॊ कम सॆ कम,
बहरी बीबी गूंगा साला, मिला है दहॆज़ मॆं !!११!!

Views: 343

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 24, 2011 at 10:53am

मजाक और हास्य की विधा के साथ परेशानी यही है कि कुछ विषयवस्तु किसी के लिये मजाहिया होती है परन्तु वही किन्हीं के लिये दुखती रग को कुरद जाने का कारण हो जाती है. ससुराल और संबंधित रिश्तों को इंगित कर कही गयी चर्चाएँ एक समय हास्य और मजाक का कारण बन जाया करती थीं, परन्तु, कथ्य और परिपाटियाँ समय के सापेक्ष हुआ करती हैं. 

 

Comment by Abhinav Arun on December 17, 2011 at 8:17pm

वाह राज जी इस रचना के विषय और प्रवाह ने मन मोह लिया हार्दिक बधाई !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
5 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
5 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
11 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service