पुलिस को पीछे आते देखकर डाकू रुक गये I इंस्पेक्टर ने ध्वनि विस्तारक यंत्र का प्रयोग कर कहा – ‘पुलिस ने कोई घेरा नहीं डाला है सरदार से कहो बात करे I’
’अरे हम है धन्ना सिंह I आवा हो इंस्पेक्टर तोहार हिस्सा तैयार बा, ल्या और ऐश करा I’- सरदार ने आगे आकर इंस्पेक्टर को एक पैकेट दिया I दोनों ने मुस्कराकर हाथ मिलाया I जाते-जाते सरदार ने एक कान्स्टेबिल के पैरो में गोली मार दी I कान्स्टेबिल गिर पड़ा I डाकू चले गए I कुछ देर बाद उस राह से दो राहगीर गुजरे I इंस्पेक्टर ने उन्हें गोली मार दी I दोनों तत्काल वही ढेर हो गए I अगले दिन समाचार पत्र में समाचार प्रकाशित हुआ-
‘कल रात पुलिस से हुयी मुठभेड़ में कुख्यात डाकू धन्ना सिंह के गिरोह के दो डाकू इंस्पेक्टर की गोली से मारे गए I बाकी डाकू भागने में कामयाब रहे I इस मुठभेड़ में एक सिपाही भी घायल हुआ उसकी हालत अब खतरे से बाहर बताई जा रही है I यह भी सुनने में आया है कि इंस्पेक्टर की बेमिसाल बहादुरी और जांबाजी के चलते उसके नाम की सिफारिश अधिकारियो द्वारा प्रोन्नति हेतु ऊपर भेजी जा रही है I’
(मौलिक व् अप्रकाशित )
Comment
प्रिय शुभ्रांशु जी
ध्वनि विस्तारक यंत्र केवल पुलिस इंस्पेक्टर के पास था i उसने जो शब्द कहें उनका वह बचाव् कर सकता था i वह जबरन फ़ोर्स का प्रयोग नहीं करना चाहता था i वगैरह ----पर आपकी आपत्ति को पूरी तरह से ख़ारिज नहीं किया जा सकता i इसके लिए आपको बधाई i
जीतू भैया
आपका आभार i
आदरणीय डा गोपाल जी.
ध्वनि विस्तारक यंत्र के उपयोग से तो बातें सभी को पता चल जायेंगी.
सादर.
सच को उजागर करती, बहुत बढ़िया लघुकथा. बधाई आदरणीय डा,गोपाल जी
आ० विजय सर
आपका आभार i
आ० मेहता जी
आपका आभार i सादर i
आ० अनुज
आपका आभार i
आ० जान- गोरखपुरी
किसी भी रचनाकार की सभी रचनाये उत्कृष्ट नहीं होती i कभी चलताऊ रच्ननाए भी हो जाती है i मुझे खुशी है कि मंच सजग है और मुझे सचेत करता रहता है सादर i
सोमेश कुमार
आपका आभार i
प्रिय महर्षि
स्नेह का मोल नहीं i
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