हर जिंदगी मे एक गीत है प्रीति है
पीड़ा है प्यार है
विरह है साथ है
संगीत है साज है
आक्रोश है संतोष है
संतुष्टि है विरोध है
तूफान है स्रोत है
संयम है क्रोध है
पहाड़ है पौंध है
कविता है कहानी है
पर हर जिंदगी सामने कहाँ आ पाती है
कही भाषा नहीं कहीं कलम नहीं है
कहीं हाथ नहीं कही पावँ नहीं हैं
कहीं आँखें नहीं कहीं कान नहीं हैं
कहीं बेबशी मे जबान नहीं है.
मौलिक व अप्रकाशित
श्याम मठपाल
Comment
Aadarniya,
Dr.Sahab bahut dhanyabad.
कही भाषा नहीं कहीं कलम नहीं है
कहीं हाथ नहीं कही पावँ नहीं हैं
कहीं आँखें नहीं कहीं कान नहीं हैं
कहीं बेबशी मे जबान नहीं है------------------ सुन्दर कथन आ० मठपाल जी i सादर i
Aadarniya ,
Dubey ji,tripathi ji wa sethi Ji aap logon ke bhawon ke liye bahut dhanyabad.
सुंदर भाव ...बधाई
बहुत सुन्दर आ.श्याम मठपाल,,,सादर बधाई आपको |
आदरणीय श्याम मठपाल जी ,सुन्दर प्रयास किया है आपने ,प्रस्तुति भी सुन्दर है , बधाई आपको ! सादर
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