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हर जिंदगी मे एक गीत है प्रीति है

पीड़ा है प्यार है
विरह है साथ है
संगीत है साज है
आक्रोश है संतोष है
संतुष्टि है विरोध है
तूफान है स्रोत है
संयम है क्रोध है
पहाड़ है पौंध है
कविता है कहानी है
पर हर जिंदगी सामने कहाँ आ पाती है
कही भाषा नहीं कहीं कलम नहीं है
कहीं हाथ नहीं कही पावँ नहीं हैं
कहीं आँखें नहीं कहीं कान नहीं हैं
कहीं बेबशी  मे  जबान नहीं है.

मौलिक व अप्रकाशित
श्याम मठपाल

Views: 434

Comment

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Comment by Shyam Mathpal on March 10, 2015 at 1:22pm

Aadarniya,

Dr.Sahab bahut dhanyabad.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 10, 2015 at 11:39am

कही भाषा नहीं कहीं कलम नहीं है
कहीं हाथ नहीं कही पावँ नहीं हैं
कहीं आँखें नहीं कहीं कान नहीं हैं
कहीं बेबशी  मे  जबान नहीं है------------------ सुन्दर कथन आ० मठपाल जी i सादर i

Comment by Shyam Mathpal on March 10, 2015 at 9:48am

Aadarniya ,

Dubey ji,tripathi ji wa sethi Ji aap logon ke bhawon ke liye bahut dhanyabad.

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on March 10, 2015 at 5:27am

सुंदर भाव ...बधाई 

Comment by maharshi tripathi on March 9, 2015 at 10:38pm

बहुत सुन्दर आ.श्याम मठपाल,,,सादर बधाई आपको |

Comment by Hari Prakash Dubey on March 9, 2015 at 10:20pm

आदरणीय श्याम मठपाल जी ,सुन्दर प्रयास किया है आपने ,प्रस्तुति भी सुन्दर है , बधाई आपको ! सादर 

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