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हिदायत से ग़रीबों का जहाँ आना मना होगा
यक़ीनन ही सियासत का वहाँ तम्बू तना होगा।
कमीशन बैठकर अपनी हज़ारों राय दे, लेकिन
बसेसर का जला क्यूँ घर, कभी तो देखना होगा।
हमारे नाम की रोटी बटी किसको पता साहिब
कि अगली रोटियां कब तक मिलेगी पूछना होगा।
किसी ने दूर से पत्थर उछाला सूर्य पर, लेकिन
सितारों ने खबर क्यों की ये मसला जांचना होगा।
लड़ाई कौम की खातिर, करो लेकिन ज़ुरूरी है
अकीदत में मुहब्बत का जरा घी डालना होगा।
नई ये मीडिया-सोशल, बरत लो सब मज़े लेकर
मगर बच्चा ये बिगड़ा है, संभलकर पालना होगा।
कभी हिम्मत नहीं करते कि अपनी आँख ही मल लें
उन्ही बेजार हाथों को घड़ी भर थामना होगा।
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(मौलिक व अप्रकाशित) © मिथिलेश वामनकर
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Comment
आदरणीया निधि जी ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार.
आदरणीय निर्मल भाई जी के सुझाव में मतले को शब्दशः स्वीकार कर लिया यानी मुफ़्लिस के स्थान पर ग़रीबों लेकर भर्ती का शब्द हटा दिया. और लिंग दोष को इस प्रकार ठीक किया है- मगर बच्चा ये बिगड़ा है, संभलकर पालना होगा।
सादर
आदरणीय मिथिलेश जी बहुत उम्दा ख़याल पिरोये हैं आपने ग़ज़ल में ... एक एक युग्म बेमिसाल है
बधाई एवं दाद कुबूल कीजिये
आदरणीय निर्मल जी की बात से कुछ कुछ सहमत हूँ ..
बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है भाई वाह वाह बहुत बहुत खूबसूरत
मुबारक हो
दो मिसरों पर आपका ध्यान चाहूँगा।
१. हिदायत से जहाँ मुफ़लिस के आने का मना होगा।
इसको देखा जाय तो आपकी बात लिए आपने मिसरे को खींचा है। इस मिसरे में का शब्द भर्ती का हो गया है। यूँ भी आपकी बात पूरी हो रही है
हिदायत से जहां मुफ़लिस का आना मना होगा।
लेकिन ये बहर में नही हुआ इसलिए ये ग़ज़ल में नहीं लिया जा सकता , तो इसमें कुछ परिवर्तन इस तरह किया सकता है -
हिदायत से ग़रीबों का जहाँ आना मना होगा।
मेरे हिसाब से अब ये मिसरा ठीक हुआ।
२. मगर औलाद ये बिगड़ी, संभलकर पालना होगा।
इस मिसरे में औलाद और पालना होगा , मेरे हिसाब से लिंग बदल रहा है। औलाद पाली जाती है , बच्चा पाला जाता है।
इसलिए इसको भी थोड़ा परिवर्तित करके ठीक कर लें। शुक्रिया
आदरणीया वंदना जी ग़ज़ल पर सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार
आदरणीय सौरभ सर, प्रयास पर गरिमामय उपस्थिति के लिए हार्दिक आभार. नमन
आदरणीया राजेश दीदी, ग़ज़ल की सराहना और सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार. ग़ज़ल का मतला सुधार चाहता है, आपके मार्गदर्शनानुसार सुधार करता हूँ . मार्गदर्शन के लिए हृदय से आभारी हूँ. सादर नमन
हमारे नाम की रोटी बटी किसको पता साहिब
कि अगली रोटियां कब तक मिलेगी पूछना होगा।
किसी ने दूर से पत्थर उछाला सूर्य पर, लेकिन
सितारों ने खबर क्यों की ये मसला जांचना होगा।
बहुत बढ़िया आदरणीय मिथिलेश जी
सुधीजनों के कहे का सम्मान करते हुए आपके प्रयास पर हृदयतल से शुभकामनाएँ ..
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