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इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं
कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं
कशिश बातों में तेरी अब अजब सी मुझ को लगती है
तेरी बातों को बातें ही या फिर इकरार ही समझूं
वो डर के भेडियों से आज मेरे पास आये हैं
कहूं हालात इसको या कि मैं ऐतवार ही समझूं
तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है
तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं
पड़े ओंठों पे ताले पलकें उठती और गिरती हैं
ये मेरी जीत है या इस को अपनी हार ही समझूं
नहीं खिड़की पे आती आजकल क्या बात है बोलो
यूं शर्माती हो तुम या मैं इसे इनकार ही समझूं
है पिघली बर्फ दिल की आँख से आंसू लगे बहने
सहेजूँ इनको मोती मान या बेकार ही समझूं
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय हरिप्रकाश जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद सादर
आदरणीय गिरिराज भाईसाब ..रचना पर आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया से में उत्साहित हूँ ..स्नेह यूं ही मिलता रही ऐसी कामना के साथ सादर
आदरणीय डॉक्टर आशुतोष मिश्र जी , सुन्दर ग़ज़ल है ,हार्दिक बधाई ! सादर
इशारों को शरारत ही कहूं या प्यार ही समझूं
कहूं मरहम इसे या खंजरों का वार ही समझूं ...वाह
तेरी नजरों ने कैसी आग सीने में लगाई है
तुझे कातिल कहूं मैं या इसे उपकार ही समझूं ....खूबसूरत
आदरनीय आशुतोष भाई , बहुत सुन्दर गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।
है पिघली बर्फ दिल की आँख से आंसू लगे बहने
सहेजूँ इनको मोती मान या बेकार ही समझूं ---------- बहुत खूब !! बधाई आदरणीय ।
आदरणीय सोमेश जी ..आपके उत्साहवर्धक शब्दों के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर
आदरणीय उमेश जी ..आपकी उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद सादर
आदरणीय कृष्णा जी ..रचना आपको पसंद आयी यह मेरे प्रयास को सार्थकता प्रदान करता है सादर
आदरणीय विजय सर..आप से मुझे सदैव हौसला मिलता है ..बस आपका स्नेह यूं ही मिलता रहे इस कामना के साथ सादर
आदरणीय मिथिलेश जी ..आपकी प्रतिक्रिया के लिए तहे दिल धन्यवाद ..ऐत वार पर शायद गलती है ..आपके परामर्श के अनुरूप फिर से संसोधन करूंगा . आपसे अनुरोध है कोई भी गलती मिले तो आप जरूर बताएं ताकि सुधर किया जा सके ..हार्दिक धन्यवाद के साथ सादर
आदरणीया अंजू जी ..आपसबका प्रोत्साहन बस यूं ही मिलता रहे ..इसी कामना के साथ सादर
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