“ बेटा!! अभी दो महीने पहले ही तेरी इकलौती जवान बहन का तलाक हुआ है. जैसे तैसे आस-पड़ोस वालो का मुंह बंद हुआ और तू गैर समाज की लड़की से चोरी छुपे शादी कर घर ले आया. तुझे अपने माता-पिता के मान-सम्मान का जरा भी ख्याल नहीं रहा..”
“ माँ! मैं पिछले चार-पांच साल से इस लड़की को प्यार करता हूँ, अब यह मेरे बच्चे की माँ बनने वाली है. अगर शादी नहीं करता तो बेवफ़ा कहलाता..”
जितेन्द्र पस्टारिया
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
RIGHT WAY TO LIVE
आदरणीय डा.आशुतोष जी. लघुकथा पर आपकी प्रोत्साहन हेतु आपका बहुत-बहुत आभार
सादर!
आदरणीय जीतेन्द्र जी .. समाज के परिद्रश्य का जीवन उदाहरन ..हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर
आदरणीय गिरिराज जी, आदरणीय कृष्णा जी, आदरणीय मोहन जी. आप सभी की उपस्थिति व् सुझाव के लिए आभारी हूँ. यहाँ लघुकथा के माध्यम से यह सन्देश देने की कोशिश की है कि जो बेटा अपने माता-पिता और बहन के प्रति अपनी जिम्मेदारी नही समझ पाया वो अपनी प्रेमिका से भी वफ़ा नही कर पाया और उसे वफ़ा का नाम दे रहा है.
सादर!
आपका बहुत -बहुत आभार, आदरणीय श्याम मठपाल जी
सादर!
आपका बहुत-बहुत आभार ,आदरणीय श्याम नारायण जी
सादर!
आ: कृष्णा जी का सुझाव अच्छा लगा ....तो ये इशारा भी होगा की मान सम्मान स्त्री के सर ही मढ़ा जाता है गलती किसी की भी हो ......समाज की सोच भी ऐसी ही है ?...प्रस्तुति के लिये बधाई ....सादर
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