For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाँ ये खबर जफ़ा की, बनाई हुई तो है - ग़ज़ल

221 2121 1221 212

लोगों के दरमियान उड़ाई हुई तो है

हाँ ये खबर जफ़ा की, बनाई हुई तो है

 

हों तेरे दिल में रश्क़ो हसद तो हुआ करे

आखिर ये आग तेरी लगाई हुई तो है

 

सच ही कहा ये आपने आज़ार देखकर

इक चोट मेरे दिल ने भी खाई हुई तो है

 

गलियों में ये पड़े हुए खाशाक* देखिये                *कूड़ा करकट

इस शह्र में कहीं पे सफाई हुई तो है

 

चटखी हैं उँगलियाँ वो भुजायें फड़क गईं

शामत किसी की “आप” में आई हुई तो है

 

काली घटा ठहर गई है आसमान पर

आखिर बरसती क्यों नहीं छाई हुई तो है

 

किरदार याद आ रहे हैं एक-एक कर

रूदाद ये किसी की सुनाई हुई तो है

 

खामोश हो गये मेरे आने से क्यों सभी

हाँ मुझसे कोई बात छुपाई हुई तो है

-मौलिक व अप्रकाशित

 

Views: 666

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 15, 2015 at 7:09am

आदरणीय जवाहर लाल जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 9, 2015 at 9:29pm

बेहतरीन न कहूं तो और क्या कहूं 

शामत किसी की “आप” में आई हुई तो है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 9, 2015 at 11:00am

भाई कृष्ण मिश्रा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 9, 2015 at 11:00am

आदरणीय डॉ आशुतोष जी आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 9, 2015 at 10:59am

जनाब समर कबीर साहेब आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 8, 2015 at 10:30pm

गलियों में ये पड़े हुए खाशाक देखिये

इस शह्र में कहीं पे सफाई हुई तो है

क्या बात है आ०! सुन्दर गज़ल पर तहेदिल से बधाईयां!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on April 8, 2015 at 6:19pm

आदरणीय शिज्जू जी ..हर शेर उम्दा ..कोई किसी से कम नहीं ..जितनी तारीफ़ की जाए कम है ..आपको इस श्रेष्ठ रचना का रचनाकार होने के लिए ढेर सारी बधाई सादर 

Comment by Samar kabeer on April 8, 2015 at 5:56pm
जनाब शिज्जु "शकूर" जी,आदाब,किसी भी बह्र में एक रुक्न की कमी बेशी से पढ़ने में जो रुकावट महसूस होती है उसे अरूज़ की इस्तिलाह में सक्ता कहते हैं |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 4:59pm

आदरणीया निधि जी आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 4:56pm

जनाब समर कबीर साहब सक्ता दोष के बारे में मेरी जानकारी सिफर है आपने जो इस्लाह बताई वो सर आँखों पर मैं सुधार लेता हूँ आपका तहेदिल से शुक्रिया जो आपने मेरी रचना को समय दिया

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
3 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
28 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
51 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
57 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service