221 2121 1221 212
लोगों के दरमियान उड़ाई हुई तो है
हाँ ये खबर जफ़ा की, बनाई हुई तो है
हों तेरे दिल में रश्क़ो हसद तो हुआ करे
आखिर ये आग तेरी लगाई हुई तो है
सच ही कहा ये आपने आज़ार देखकर
इक चोट मेरे दिल ने भी खाई हुई तो है
गलियों में ये पड़े हुए खाशाक* देखिये *कूड़ा करकट
इस शह्र में कहीं पे सफाई हुई तो है
चटखी हैं उँगलियाँ वो भुजायें फड़क गईं
शामत किसी की “आप” में आई हुई तो है
काली घटा ठहर गई है आसमान पर
आखिर बरसती क्यों नहीं छाई हुई तो है
किरदार याद आ रहे हैं एक-एक कर
रूदाद ये किसी की सुनाई हुई तो है
खामोश हो गये मेरे आने से क्यों सभी
हाँ मुझसे कोई बात छुपाई हुई तो है
-मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय जवाहर लाल जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
बेहतरीन न कहूं तो और क्या कहूं
शामत किसी की “आप” में आई हुई तो है
भाई कृष्ण मिश्रा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
आदरणीय डॉ आशुतोष जी आपका तहेदिल से शुक्रिया
जनाब समर कबीर साहेब आपका बहुत बहुत शुक्रिया
गलियों में ये पड़े हुए खाशाक देखिये
इस शह्र में कहीं पे सफाई हुई तो है
क्या बात है आ०! सुन्दर गज़ल पर तहेदिल से बधाईयां!
आदरणीय शिज्जू जी ..हर शेर उम्दा ..कोई किसी से कम नहीं ..जितनी तारीफ़ की जाए कम है ..आपको इस श्रेष्ठ रचना का रचनाकार होने के लिए ढेर सारी बधाई सादर
आदरणीया निधि जी आपका हार्दिक आभार
जनाब समर कबीर साहब सक्ता दोष के बारे में मेरी जानकारी सिफर है आपने जो इस्लाह बताई वो सर आँखों पर मैं सुधार लेता हूँ आपका तहेदिल से शुक्रिया जो आपने मेरी रचना को समय दिया
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online