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हाँ ये खबर जफ़ा की, बनाई हुई तो है - ग़ज़ल

221 2121 1221 212

लोगों के दरमियान उड़ाई हुई तो है

हाँ ये खबर जफ़ा की, बनाई हुई तो है

 

हों तेरे दिल में रश्क़ो हसद तो हुआ करे

आखिर ये आग तेरी लगाई हुई तो है

 

सच ही कहा ये आपने आज़ार देखकर

इक चोट मेरे दिल ने भी खाई हुई तो है

 

गलियों में ये पड़े हुए खाशाक* देखिये                *कूड़ा करकट

इस शह्र में कहीं पे सफाई हुई तो है

 

चटखी हैं उँगलियाँ वो भुजायें फड़क गईं

शामत किसी की “आप” में आई हुई तो है

 

काली घटा ठहर गई है आसमान पर

आखिर बरसती क्यों नहीं छाई हुई तो है

 

किरदार याद आ रहे हैं एक-एक कर

रूदाद ये किसी की सुनाई हुई तो है

 

खामोश हो गये मेरे आने से क्यों सभी

हाँ मुझसे कोई बात छुपाई हुई तो है

-मौलिक व अप्रकाशित

 

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Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 4:54pm

जनाब नज़ील साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 4:53pm

जनाब निर्मल नदीम जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया

Comment by Nidhi Agrawal on April 8, 2015 at 4:23pm

आदरणीय शिज्जू साहब .. बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है 

इस शेर ने दिल जीत लिया 

खामोश हो गये मेरे आने से क्यों सभी

हाँ मुझसे कोई बात छुपाई हुई तो है

Comment by Samar kabeer on April 8, 2015 at 4:03pm
जनाब शिज्जू "शकूर" जी, आदाब, तरही मिसरे पे ख़ूबसूरत ग़ज़ल कही है,इस मिसरे पर मेरी भी ग़ज़ल हुई है,जो यथा स्थान पर देखी जा सकती है , आपका हर शैर दाद के क़ाबिल है,बधाई स्वीकार करें |
दो मिसरों की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :-
(1)"काली घटा ठहर गई है आसमान पर"
इस मिसरे में सक्ता महसूस हो रहा है,इस मिसरे को इस तरह लिखेंगे तो यह दोष दूर हो जाएगा:-
" ठहरी हुई है काली घटा आसमान पर"

(2)"किरदार याद आ रहे हैं एक-एक कर"

इस मिसरे में भी सक्ते वाला दोष है जो इस तरह लिखने पर दूर हो जाएगा:-

"किरदार याद आने लगे एक एक कर"

जो महसूस किया लिख दिया,आगे आपको पूरा इख़्तियार है,कृपया अन्यथा न लेवें |
Comment by Nazeel on April 8, 2015 at 2:40pm

बेहद खूबसूरत रचन......  हार्दिक बधाई  आदरणीय  शिज्जु शकूर भाई जी । 

Comment by Nirmal Nadeem on April 8, 2015 at 1:34pm
बहुत खूब बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है साहब। दाद क़ुबूल करें।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 9:53am

आदरणीय गिरिराज सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 9:52am

आदरणीय महर्षि जी आपका हार्दिक आभार


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Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 9:52am

आदरणीय वीनस भाई रचना पर आपकी मौजूदगी से हौसला मिलता है आपका तहेदिल से शुक्रिया यूँ ही हौसला बढ़ाते रहें ये इल्तिजा है


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on April 8, 2015 at 9:51am

आदरणीय डॉ विजय शंकर सर आपका तहेदिल से शुक्रिया

कृपया ध्यान दे...

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