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बड़ी मुश्किल उसे मनाया है ॥
बहुत कुछ दांव पे लगाया है ॥
किसे कहते कि बेवफा है वो ,
हँसा हम पे जिसे बताया है ॥
बसा दिल-ओ-दिमाग में वो ही ,
अचानक सामने जो आया है ॥
लगे ऐसा हमें खुदा ने उसे ,
हमारे के लिए बनाया है ॥
हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥
कहाँ होशो-हवास की बातें ,
किसी पे जब शबाब आया है ॥
लगे है वो पवित्र गंगा सा ,
करिंदा जो पसीने से नहाया है ॥
मौलिक /अप्रकाशित
Comment
रचना पर बधाई! कुछ शेर में बात पूरी तरह से व्यक्त नही हो पा रही है,उसपे ध्यान देने के आवशयकता है,मित्रवत सूझाव है,गज़ल में मै खुद नवाभ्यासी हूँ....
हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥
ये शेर बहुत पसंद आया!
आदरणीया मीना पाठक जी हौसला देने के लिए तहे-दिल से शुक्रिया
बहुत सुंदर
आदरणीय निर्मल नदीम जी हौंसला बढ़ाने के लिए बहुत -बहुत शुक्रिया।
BAHUT ACHCHI KOSHISH HAI BHAI,,,, WAAAH WAAAH SALAMAT RAHE...
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