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बहुत कुछ दांव पे लगाया है .....

१ २ २ २ १२ १ २२२
बड़ी मुश्किल उसे मनाया है ॥
बहुत कुछ दांव पे लगाया है ॥
किसे कहते कि बेवफा है वो ,
हँसा हम पे जिसे बताया है ॥
बसा दिल-ओ-दिमाग में वो ही ,
अचानक सामने जो आया है ॥
लगे ऐसा हमें खुदा ने उसे ,
हमारे के लिए बनाया है ॥
हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥
कहाँ होशो-हवास की बातें ,
किसी पे जब शबाब आया है ॥
लगे है वो पवित्र गंगा सा ,
करिंदा जो पसीने से नहाया है ॥
मौलिक /अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 8, 2015 at 10:27pm

रचना पर बधाई! कुछ शेर में बात पूरी तरह से व्यक्त नही हो पा रही है,उसपे ध्यान देने के आवशयकता है,मित्रवत सूझाव है,गज़ल में मै खुद नवाभ्यासी हूँ....

हुआ है एहसास जन्नत का ,
जो माँ ने गोद में सुलाया है ॥

ये शेर  बहुत पसंद आया!

Comment by Nazeel on April 8, 2015 at 6:12pm

आदरणीया  मीना  पाठक जी हौसला देने  के लिए  तहे-दिल से शुक्रिया 

Comment by Meena Pathak on April 8, 2015 at 6:00pm

बहुत सुंदर 

Comment by Nazeel on April 8, 2015 at 5:37pm

आदरणीय निर्मल नदीम जी  हौंसला बढ़ाने के लिए बहुत -बहुत  शुक्रिया। 

Comment by Nirmal Nadeem on April 8, 2015 at 5:32pm

BAHUT ACHCHI KOSHISH HAI BHAI,,,, WAAAH WAAAH SALAMAT RAHE...

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