इतनी मुश्किल से तो बेठने की जगह मिली, ऊपर से गाड़ी लेट ! उस पर साथ मे पहले से बेठा आवारा सा लड़का जो लगातार उसे घूरता ही जा रहा है ! और वो गुस्से मे अनदेखा करके थोड़ा पीछे हटकर मुह घुमाकर बेठ गयी I अचानक पड़ा लिखा सुदर्शन युवा बीच के थोड़ी से स्थान मे फस कर बेठ गया, और लड़की अचानक आवारा लड़के से बोल पड़ी,
"भैया गाड़ी लेट क्यूँ हो गयी ?"!
मोलिक अपकाशित
Comment
ओझा जी का आभार !
अमन जी आप ने बहुत ही सटीक तीर मारा हैI आप को बधाई
अदरणीय गिरिराज जी और जितेंद्र भाई का आभार
डॉ गोपाल जी का हार्दिक स्वागत
वर्मा जी का समय मिला क्र्तर्थ हुया ! आभार
जवाहर भाई का आभार !
बहुत खूब, आदरणीय अमन जी. बहुत महीन बिंदु प्रस्तुत किया है लघुकथा में. बधाई
आदरणीय अमन भाई , बहुत महीन आब्जरवेश्न है आपका , अच्छी लघुकथा के लिये हार्दिक बधाई ।
प्रिय अमन
बहुत बारीकी से गढ़ी इस रचना पर मैं आपको बधायी देता हूँ . स्नेह .
बहुत-बहुत बधाई इस शानदार लघु कथा के लिए |
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